“गुटुड़ी, मम्मा को तुम्हारी ज़रूरत है” – फूड इंफ्लुएंसर चटोरी रजनी का टूटता संसार

दिल्ली की मशहूर फूड इंफ्लुएंसर चटोरी रजनी, जिनकी रसोई से हमेशा खुशबू और मुस्कानें निकलती थीं, आज मातम के साए में डूबी हुई हैं। 16 साल का मासूम बेटा तरण जैन, जो उनके जीवन का सबसे चमकता सितारा था, अब नहीं रहा। 17 फरवरी की वह मनहूस रात जब एक सड़क हादसे ने रजनी की दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया।

 

एक मां का टूटा दिल

 

18 फरवरी को जब रजनी जैन ने सोशल मीडिया पर अपने बेटे के गुजर जाने की खबर साझा की, तो किसी को यकीन ही नहीं हुआ। उनकी टाइमलाइन पर हर रोज़ खुशियों से भरे पकवानों की तस्वीरें होती थीं, लेकिन इस बार वहां सिर्फ़ मातम पसरा था। लोगों को लगा कि शायद उनका अकाउंट हैक हो गया हो, पर फिर एक और पोस्ट आई – बेटे की तस्वीर के साथ लिखा था, “गुटुड़ी, मम्मा को तुम्हारी ज़रूरत है।”

 

यह एक चीख थी, एक पुकार थी, जो सीधे दिल चीरकर रख देती है। जिस मां ने अपने बेटे को हर रोज़ हंसते हुए देखा, उसके लिए अब केवल यादें बची हैं।

 

तस्वीरों में कैद यादें

 

रजनी ने तरण की एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें वह ट्रॉफी के साथ मुस्कुरा रहा था। उस पर लिखा था, “8 अगस्त 2008 – 17 फरवरी 2025।” एक और तस्वीर में वही मुस्कान थी, लेकिन इस बार उसके गले में जीत की ट्रॉफी नहीं, तस्वीर पर चढ़ी माला थी।

सोशल मीडिया पर शोक की लहर

 

उनके फॉलोअर्स, जो कभी उनके लज़ीज़ व्यंजनों की तारीफ किया करते थे, अब दिलासा दे रहे हैं। “रजनी दीदी, आप मजबूत रहिए,” “हमारी प्रार्थनाएं आपके साथ हैं,” ऐसे हजारों कमेंट्स उनकी पोस्ट पर आ चुके हैं। मगर क्या शब्द किसी मां के दर्द को कम कर सकते हैं?

 

रजनी के एक करीबी ने कमेंट में लिखा कि वह इतनी सदमे में हैं कि किसी से बात तक नहीं कर पा रही हैं।

 

फूड इंफ्लुएंसर से मातम की मूरत

 

चटोरी रजनी, जो अपने पति के टिफिन पैक करने की सीरीज़ से सोशल मीडिया पर छा गई थीं, आज खुद ज़िंदगी से लड़ रही हैं। वो रसोई जहां उनके हाथों से हर रोज़ स्वादिष्ट पकवान निकलते थे, आज सूनी पड़ी है।

 

उनका हंसता-खेलता परिवार, उनके प्यारे ‘गुटुड़ी’ के बिना अधूरा हो गया है। उनके शब्दों में सिमटा मातृत्व का दर्द आज हर मां की आंखों में आंसू ले आया है।

 

एक अनुत्तरित सवाल

 

जब कोई इतना क़रीबी चला जाता है, तो सिर्फ एक सवाल मन में गूंजता है – “क्यों?” लेकिन इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं होता। सिर्फ़ यादें रह जाती हैं और वे अधूरी बातें, जो कभी कही नहीं जा सकीं।

 

रजनी की ज़िंदगी में अब एक खालीपन है, जिसे कोई भी स्वाद, कोई भी पकवान और कोई भी सोशल मीडिया लाइक भर नहीं सकता। उनके लिए यह सिर्फ़ एक हादसा नहीं, बल्कि उनके अस्तित्व की सबसे बड़ी परीक्षा है।

 

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