“वैशाख में सावन जैसी बारिश: चारधाम यात्रा पर ब्रेक का खतरा”

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा जैसे ही रफ्तार पकड़ने लगी, वैसे ही मौसम विभाग की चेतावनी ने प्रशासन और श्रद्धालुओं दोनों की चिंता बढ़ा दी है। मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक डॉ. विक्रम सिंह द्वारा जारी ताजा पूर्वानुमान के अनुसार, 6, 7 और 8 मई को प्रदेशभर में मौसम का मिजाज बेहद बिगड़ा रहेगा। बारिश, अंधड़ और आकाशीय बिजली को लेकर येलो अलर्ट घोषित किया गया है, जबकि उत्तरकाशी जिले के लिए 8 मई को रेड अलर्ट जारी किया गया है। यह वही जिला है जहां यमुनोत्री और गंगोत्री धाम स्थित हैं — चारधाम यात्रा के प्रारंभिक पड़ाव।

डॉ. विक्रम सिंह के अनुसार, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और बागेश्वर में भारी से भारी वर्षा की संभावना जताई गई है। इन जिलों में भूस्खलन, सड़कों के बाधित होने और नदी-नालों के जलस्तर में अचानक वृद्धि की आशंका है। ये सभी जिले चारधाम मार्ग से जुड़े होने के कारण तीर्थयात्रियों के लिए गंभीर संकट का संकेत दे रहे हैं।

प्रशासन अलर्ट पर, यात्रा कार्यक्रमों की समीक्षा शुरू
चारधाम यात्रा पर प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु देशभर से पहुंच रहे हैं। प्रशासन की ओर से तीर्थयात्रियों को सचेत किया गया है कि वे मौसम की स्थिति को देखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनाएँ। उत्तरकाशी में 8 मई के रेड अलर्ट को देखते हुए जिला आपदा प्रबंधन और पुलिस विभाग को हाई अलर्ट पर रखा गया है। संवेदनशील मार्गों और यात्रियों की आवाजाही पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।

पिछले अनुभवों से भी बढ़ी चिंता
पिछले वर्षों में भी मौसम के अचानक बदले मिजाज ने चारधाम यात्रा को बाधित किया है। कई बार मार्ग अवरुद्ध होने, नदी में बहाव तेज होने और भूस्खलन जैसी घटनाओं से श्रद्धालुओं को घंटों–कभी-कभी दिनों–तक फंसे रहना पड़ा। इस बार की चेतावनी विशेष रूप से गंभीर मानी जा रही है क्योंकि मई के पहले सप्ताह में ही ऐसे हालात उत्पन्न हो रहे हैं।

श्रद्धालुओं से अपील: सतर्क रहें, प्रशासन के निर्देशों का पालन करें
प्रशासन और मौसम विभाग ने तीर्थयात्रियों से अपील की है कि वे यात्रा पर निकलने से पहले स्थानीय मौसम अपडेट, राज्य आपदा प्रबंधन की सलाह, और स्थानीय प्रशासन के दिशा-निर्देशों पर ध्यान दें। किसी भी संकट की स्थिति में 112 या 1070 पर संपर्क करने की सलाह दी गई है।

चारधाम यात्रा के पवित्र मार्ग पर मौसम की यह पहली बड़ी चुनौती है। ऐसे में यात्रा की पवित्रता और श्रद्धा के साथ-साथ विवेक और सतर्कता की भी नितांत आवश्यकता है।

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