देश की अर्थव्यवस्था और टैक्स सिस्टम से जुड़ी एक बड़ी खबर ने आज राजनीतिक और कारोबारी गलियारों में हलचल मचा दी है।
मोदी सरकार ने फरवरी 2025 में लोकसभा में पेश किया गया इनकम टैक्स बिल 2025 अचानक वापस ले लिया है — वो भी तब, जब इसे छह दशक पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह लाने की तैयारी जोरों पर थी।
लेकिन अब, 11 अगस्त को संसद में आने वाला है नया और संशोधित बिल, जिसमें होंगे बड़े बदलाव और नए प्रावधान।
🔍 क्यों लिया गया बिल वापस?
दरअसल, सरकार के इस फैसले के पीछे सीधे तौर पर जिम्मेदार है संसदीय प्रवर समिति की रिपोर्ट।
31 सदस्यीय इस समिति की कमान संभाल रहे थे बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा, जिन्होंने 21 जुलाई 2025 को लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की।
इसमें 285 सुझाव दिए गए थे — और चौंकाने वाली बात यह कि सरकार ने लगभग सभी सुझाव मान लिए!
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में साफ कहा:
- ड्राफ्टिंग में त्रुटियां थीं
- वाक्यांशों का गलत संरेखण (alignment) था
- क्रॉस-रेफरेंसिंग में गड़बड़ियां थीं
यानी, बिल को सीधा लागू करने से बाद में उलझन और कानूनी विवाद खड़े हो सकते थे। इसीलिए सरकार ने फैसला किया — पहले पुराना ड्राफ्ट हटाओ, नया और क्लियर बिल लाओ।
🛠 बिल में क्या-क्या बदलेगा?
पुराने ड्राफ्ट का मकसद था टैक्स कानून को सिंपल, मॉडर्न और डिजिटल-फ्रेंडली बनाना।
लेकिन समिति ने कुछ अहम सुधार सुझाए, जो अब नए ड्राफ्ट में दिखेंगे:
- खाली पड़ी संपत्ति का मूल्यांकन
- “वास्तविक किराया” और “माना गया किराया” की तुलना करके टैक्स तय करने का नियम और क्लियर होगा।
- कटौतियों का नया फॉर्मूला
- हाउस प्रॉपर्टी इनकम पर 30% मानक कटौती, नगरपालिका कर घटाने के बाद ही होगी।
- TDS रिफंड की नई सुविधा
- अंतिम तारीख चूक जाने के बाद भी कुछ मामलों में रिफंड का दावा किया जा सकेगा, ताकि जेन्युइन केस वाले टैक्सपेयर्स को राहत मिले।
📅 आगे क्या होगा?
- 11 अगस्त 2025 — लोकसभा में नया इनकम टैक्स बिल पेश होगा
- इसमें होंगे समिति के सभी अहम सुझाव
- सरकार का टारगेट: टैक्स कानून को पारदर्शी, आसान और करदाता-फ्रेंडली बनाना
यह कदम न सिर्फ पारदर्शिता बल्कि जवाबदेही का भी संकेत है।
💬 अब सबकी निगाहें हैं 11 अगस्त पर — क्या यह नया कानून वाकई 1961 के एक्ट की जगह ले पाएगा और भारत के टैक्स सिस्टम को पूरी तरह बदल देगा?
या फिर ये भी एक अधूरा सपना बनकर रह जाएगा?