देहरादून।
उत्तराखंड में स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा को लेकर उठे सवालों के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए परीक्षा को निरस्त कर दिया है। यह फैसला उस समय लिया गया जब राज्य सरकार द्वारा गठित एकल सदस्यीय जांच आयोग ने परीक्षा में कथित अनियमितताओं की अंतरिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी।
आयोग की अध्यक्षता मा० न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) यू.सी. ध्यानी कर रहे हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री धामी से भेंट कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। मुख्यमंत्री ने आयोग की त्वरित कार्रवाई और पारदर्शी जनसुनवाई की प्रक्रिया की सराहना की। उन्होंने कहा, “आयोग ने अल्प समय में अभ्यर्थियों और संबंधित पक्षों से सुझाव प्राप्त कर जो रिपोर्ट तैयार की है, वह राज्य की पारदर्शी प्रशासनिक सोच को दर्शाती है। सरकार रिपोर्ट का परीक्षण कर छात्रों के हित में ठोस निर्णय लेगी।”

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रकरण की सीबीआई जांच की संस्तुति पहले ही की जा चुकी है, ताकि पूरे मामले की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य केवल दोषियों पर कार्रवाई करना ही नहीं, बल्कि परीक्षा व्यवस्था को ऐसा बनाना है जहाँ किसी भी प्रकार की अनियमितता की कोई संभावना न रहे।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि परीक्षा के रद्द होने से अन्य परीक्षाओं के कार्यक्रम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सभी आगामी परीक्षाएं पूर्व निर्धारित तिथियों पर आयोजित की जाएंगी।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “हमारे लिए राज्य के हर अभ्यर्थी का विश्वास सर्वोपरि है। परीक्षा की शुचिता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा। अभ्यर्थियों और अभिभावकों का भरोसा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों में परीक्षा प्रक्रिया को सुधारने के लिए कई संस्थागत सुधार किए हैं — उत्तराखंड सार्वजनिक परीक्षा नकल निवारण अधिनियम-2023 का सख्त अनुपालन, परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी निगरानी प्रणाली, ओएमआर शीट ट्रैकिंग और संदिग्ध गतिविधियों की डिजिटल मॉनिटरिंग जैसी व्यवस्थाएँ अब सभी परीक्षाओं में अनिवार्य की जा रही हैं।
धामी सरकार के इस निर्णय को युवाओं के बीच न्यायपूर्ण और जवाबदेह प्रशासन की मिसाल के रूप में देखा जा रहा है। छात्र संगठनों और अभिभावकों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे मेहनती अभ्यर्थियों का विश्वास और अधिक मजबूत होगा।
यह निर्णय उत्तराखंड की परीक्षा प्रणाली को एक नई पारदर्शी दिशा देने वाला साबित होगा — जहाँ नकल और सिफारिश नहीं, बल्कि योग्यता और मेहनत ही सफलता की कुंजी होगी।
