बुलडोजर के लगातार गड़गड़ाते हुए 26 मकानों का धवस्तीकरण, देहरादून में कितने अवैध निर्माण पर होगा ऐक्शन?
मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने सोमवार को काठबंगला और वीर गबर सिंह बस्ती में 26 अवैध मकानों को ध्वस्त कर दिया। 11 मार्च 2016 के बाद बने मकान तोड़ने के लिए करीब पांच घंटे तक अभियान चलाया गया। देहरादून में मंगलवार सुबह को भी बुलडोजर ऐक्शन शुरू हो गया है। एमडीडीए, पुलिस, नगर निगम के साथ ही बुलडोजर के पहुंचते ही लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया।
सोमवार सुबह दस बजे से पहले ही एमडीडीए के अफसर पुलिस बल के साथ काठबंगला बस्ती पुल पर पहुंच गए थे। यहां मुनादी के बाद सबको जिम्मेदारी सौंपी गई। करीब 11 बजे तीन जेसीबी बस्ती की तरफ बढ़ीं। जैसे ही मकानों का ध्वस्तीकरण शुरू हुआ तो लोगों ने हंगामा कर दिया। किसी ने बिना नोटिस दिए कार्रवाई का आरोप लगाया तो कोई वोटर आईडी, राशन कार्ड, बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र लेकर अफसरों के पास पहुंच गए।
उन्होंने पुराना निर्माण होने की बात कहकर कार्रवाई रोकने की मांग की। लेकिन, कुछ लोग ही पुराना निर्माण होने की बात साबित कर पाए। इधर, एमडीडीए की कार्रवाई नहीं रुकी। जो लोग तय तिथि से पहले निर्माण का साक्ष्य उपलब्ध नहीं करवा सके, उनके मकान टूटते चले गए। दोपहर करीब सवा तीन बजे तक कार्रवाई जारी रही। इस दौरान एसई एचसीएस राणा, लेखपाल नजीर अहमद, एई सुनील कुमार, शशांक सक्सेना, अभिषेक भारद्वाज के साथ पुलिस-प्रशासन के अफसर मौजूद रहे।
जाम लगाने की कोशिश करने वालों को समझाया
मौके पर काफी संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। कुछ लोगों ने पुल पर बैठकर जाम लगाने का प्रयास भी किया। मगर, पुलिस ने चेतावनी देकर लोगों को वहां से हटवा दिया। इसके बाद भी हंगामा कर रहे लोगों को एमडीडीए के अफसरों ने समझा बुझाकर शांत कराया। एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी अपडेट लेते रहे। उन्होंने निर्देश दिए थे कि जो लोग अपने दस्तावेज दिखाना चाहते हैं, उनको इसका मौका दिया जाए।
बच्चों और महिलाओं की आंखों से निकले आंसू
टीम ने जैसे ही जेसीबी से मकानों को ध्वस्त करना शुरू किया तो महिलाएं और बच्चे रो पड़े। कई लोग खुद ही अपना सामान हटाकर सड़क किनारे रखने लगे। बस्ती में रहने वालीं कुसुमलता ने कहा कि वे 2014 से यहां निवासरत हैं।पहले जमीन ली, फिर सात से आठ लाख रुपये खर्च करके जैसे-तैसे मकान बनाया, लेकिन इसे ध्वस्त कर दिया गया है। अंतरेश ने कहा कि वे सोलह साल से यहां के निवासी हैं। लेकिन, इस बात का अंदाजा नहीं था कि एक दिन उनके सपनों पर इस तरह पानी फिर जाएगा। इसी तरह आशा ने भी अपनी पीड़ा बताई।]
अफसर बोले-2016 के बाद के निर्माण टूटेंगे
एमडीडीए ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बस्ती में कुछ लोगों के तय तिथि से पहले एक मंजिला घर थे। वे सरकार के अध्यादेश के दायरे में आते हैं और उनको ध्वस्त नहीं किया जा सकता। लेकिन, कुछ लोगों ने मकानों को दो से तीन मंजिला बनाना शुरू कर दिया। इसीलिए बाद के अवैध निर्माण को ही ध्वस्त किया गया है। दस्तावेजों की जांच और मौके पर सर्वे के बाद ही कार्रवाई की जा रही है।