उत्तराखंड

इस वर्ष 10268 हेक्टेयर में 1.14 करोड़ पौधे लगाएगा वन विभाग, होगी जियो टैगिंग

उत्तराखंड के जंगलों में इस वर्षाकाल में होने वाले पौधारोपण में फर्जीवाड़े की गुंजाइश न के बराबर रहेगी। इसके लिए वन क्षेत्रों में होने वाले पौधारोपण की जियो टैगिंग की जाएगी।रोपे गए प्रत्येक पौधे की जानकारी भी विभागीय वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी। वन मंत्री सुबोध उनियाल के निर्देशों के क्रम में वन मुख्यालय ने इस संबंध में सभी वन प्रभागों को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। इस पहल से पौधारोपण की वास्तविक तस्वीर सामने आएगी और अनुश्रवण में मदद मिलेगी।

पौधारोपण की तस्वीर पर नजर दौड़ाएं तो जंगलों में प्रतिवर्ष औसतन एक से डेढ़ करोड़ पौधे लगाए जा रहे हैं। ऐसे में राज्य गठन के बाद से अब तक वनावरण में वृद्धि होनी चाहिए थी, लेकिन यह 45 प्रतिशत के आसपास ही सिमटी हुई है। इससे पौधारोपण की गुणवत्ता और विभागीय कार्यशैली पर प्रश्न उठना स्वाभाविक है।यद्यपि, अब सरकार ने इस विषय को गंभीरता से लिया है। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कुछ समय पहले हुई विभागीय समीक्षा बैठक में पौधारोपण के तहत रोपे गए पौधों के जीवित रहने की दर बढ़ाने के दृष्टिगत अनुश्रवण पर विशेष ध्यान देने और कार्मिकों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। साथ ही रोपे गए पौधों की जानकारी आन लाइन करने को कहा था।

इस कड़ी में विभाग सक्रिय हो गया है। राज्य के वन क्षेत्रों में इस वर्ष 10268 हेक्टेयर क्षेत्र में वर्षाकालीन पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है। इसमें विभिन्न प्रजातियों के 1.14 करोड़ लगाए जाने हैं। अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा के अनुसार इस बार पौधारोपण की जियो टैगिंग की जाएगी।इस बारे में सभी वन प्रभागों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इसके तहत जिस क्षेत्र में पौधे लगाए जाएंगे, उसकी जियो टैगिंग होगी। इसकी तस्वीरों के साथ ही संबंधित क्षेत्र में कौन-कौन सी प्रजातियों के कितने पौधे लगाए गए, किसकी अगुआई में लगाए गए, ऐसी तमाम जानकारियां भी विभागीय वेबसाइट पर अपलोड की जाएंगी।

क्या है जियो टैगिंग

जियो टैगिंग ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें क्षेत्र विशेष के भौगोलिक निर्देशांक यानी अक्षांश, देशांतर के साथ तस्वीर ली जाती है। इससे वहां होने वाली गतिविधि के अनुश्रवण में मदद मिलती है।

फलदार व चारा प्रजाति के रोपण पर जोर

वन क्षेत्रों में वर्षाकालीन पौधारोपण के लिए विभाग ने पौध की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली है। पौध की आपूर्ति विभागीय नर्सरी के अलावा व्यक्तिगत व उद्यान विभाग की नर्सरियों से होगी। पौधारोपण में फलदार व चारा प्रजाति के पौधों के रोपण पर जोर रहेगा। इसके पीछे मंशा वन्यजीवों के लिए जंगल में भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित करना है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com