फेवरेट हिल स्टेशन नैनीताल भूगोल के नक्शे से मिट जाएगा?

 

भूस्खलन, दरारों और भूकंप की मार झेलता पर्यटन नगरी, खतरे की घंटी बज चुकी है!

 

उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल इस समय चौतरफा खतरों से घिरा हुआ है। भूस्खलन, दरारें, भूधंसाव और लगातार आ रहे भूकंपों ने इस शहर को संकट में डाल दिया है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि विशेषज्ञ यह तक कह रहे हैं कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में नैनीताल का अस्तित्व ही मिट सकता है।

 

भूस्खलन से दहशत में नैनीताल

 

नैनीताल के कई इलाकों में लगातार भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं। टिफिन टॉप, स्नो व्यू, चाइना पीक, चार्टन लॉज जैसे क्षेत्रों में पहाड़ों का दरकना तेज हो गया है। हाल ही में खूपी गांव में करीब 3 किलोमीटर के क्षेत्र में पहाड़ धंसने की खबर आई, जिससे स्थानीय लोगों में खौफ का माहौल है। गांव के कई मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं, और कई परिवार सुरक्षित स्थानों की तलाश में अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं।

 

विशेषज्ञों के मुताबिक, नैनीताल की नैनी झील के जलस्तर में गिरावट आ रही है और इसके चारों ओर जमीन धंस रही है। यदि यह सिलसिला जारी रहा तो यह झील भी भविष्य में सूख सकती है।

 

चाइना पीक पर संकट, नीचे बसी आबादी को खतरा

 

नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी चाइना पीक भी भूस्खलन की चपेट में आ चुकी है। यहां से बड़े-बड़े पत्थर और मलबा गिरकर आबादी वाले इलाकों की ओर बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो चाइना पीक का पहाड़ दरक सकता है, जिससे नीचे बसे इलाकों पर भारी तबाही का खतरा मंडरा रहा है।

 

डोरोथी सीट इतिहास बनने की कगार पर

 

नैनीताल की प्रसिद्ध डोरोथी सीट, जो एक ऐतिहासिक व्यू प्वाइंट थी, अब लगभग नष्ट हो चुकी है। भारी बारिश और भू-स्खलन के चलते यह स्थल धराशायी हो चुका है। यह इलाका पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र था, लेकिन अब यहां मलबे के सिवा कुछ नहीं बचा है।

 

चूहों का आतंक: नैनीताल की नींव खोखली कर रहे कुदरती दुश्मन

 

नैनीताल के सामने प्राकृतिक आपदाओं के अलावा एक और नई समस्या खड़ी हो गई है—चूहों का आतंक।

 

चूहों ने शहर की हजारों इमारतों, नालियों और पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी बस्तियां बना ली हैं। दीवारों और नालों की सुरक्षा दीवारें खोखली होती जा रही हैं। इससे भू-धंसाव की घटनाएं और भी तेजी से बढ़ सकती हैं।

 

शहर में सफाई करना भी मुश्किल हो गया है, क्योंकि नालियां मलबे से भरी पड़ी हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, ये चूहे शहर की बुनियादी संरचना को कमजोर कर सकते हैं, जिससे आने वाले दिनों में और भी ज्यादा भू-धंसाव हो सकता है।

 

भूकंप का खतरा: नैनीताल की इमारतें कितनी सुरक्षित?

 

पिछले कुछ महीनों में उत्तराखंड के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं, और नैनीताल भी इससे अछूता नहीं रहा।

 

भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि नैनीताल एक संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र में आता है। यहां की कई इमारतें बिना किसी प्लानिंग के बनाई गई हैं। एक बड़ा भूकंप आने पर नैनीताल के हजारों घर जमींदोज हो सकते हैं।

 

इसी को ध्यान में रखते हुए, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) ने नैनीताल के 1,000 से ज्यादा घरों का सर्वे करने का फैसला किया है। यह जांच की जाएगी कि ये घर भूकंप और अन्य आपदाओं को झेलने में सक्षम हैं या नहीं।

 

प्रशासन और सरकार की तैयारियां?

 

हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने कुछ आपातकालीन कदम उठाए हैं:

 

1. CBRI की टीम भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में सर्वेक्षण कर रही है।

2. नैनी झील के जलस्तर पर नजर रखी जा रही है।

3. प्रभावित इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

4. भू-स्खलन रोकने के लिए सुरक्षा दीवारों और पेड़ लगाने की योजना बनाई जा रही है।

 

हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार की ओर से अभी भी कोई ठोस और दीर्घकालिक समाधान नहीं निकाला गया है। अगर जल्द उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह खूबसूरत शहर हमेशा के लिए तबाही के कगार पर पहुंच सकता है।

 

क्या नैनीताल मिट जाएगा?

 

इस सवाल का जवाब अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है, लेकिन मौजूदा हालात डराने वाले हैं। नैनीताल को बचाने के लिए तत्काल उपायों की जरूरत है, वरना यह शहर, जिसकी सुंदरता और झीलें दुनियाभर में मशहूर हैं, आने वाले दशकों में सिर्फ इतिहास के पन्नों में सिमटकर रह जाएगा।

 

क्या कहा विशेषज्ञों ने?

 

डॉ. आर.पी. सिंह (भू-विज्ञान विशेषज्ञ) – “नैनीताल की भूमि धीरे-धीरे अस्थिर हो रही है। अगर समय रहते सुरक्षात्मक उपाय नहीं किए गए, तो नैनीताल का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।”

 

प्रो. अनुराग त्रिपाठी (पर्यावरण वैज्ञानिक) – “इस पूरे क्षेत्र में अनियंत्रित निर्माण कार्य और वनों की कटाई ने भूस्खलन की घटनाओं को बढ़ा दिया है। सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे।”

 

स्थानीय निवासी राजीव जोशी – “हम हर दिन डर के साए में जी रहे हैं। हमें सरकार से ठोस कार्रवाई की उम्मीद है।”

 

वक्त रहते संभलने की जरूरत

 

नैनीताल सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि भारत की प्राकृतिक धरोहर है। यहां की सुंदरता, जलवायु और झीलें इस जगह को खास बनाती हैं। लेकिन अब यह जगह विनाश के कगार पर खड़ी है।

 

ज़रूरी है कि प्रशासन, वैज्ञानिक और स्थानीय लोग मिलकर भूस्खलन, भू-धंसाव, चूहों की समस्या और भूकंप के खतरों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएं। वरना वो दिन दूर नहीं जब हम सिर्फ किताबों में नैनीताल की खूबसूरती को याद करेंगे।

 

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