यह घटना मानवता के मुँह पर तमाचा है: पाकिस्तान की सेना खुद उन आतंकियों के जनाज़े में शरीक होती है जिनके हाथ मासूमों के खून से सने हैं। और सिर्फ शरीक ही नहीं – उन आतंकियों के शवों को पाकिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा जाता है, जैसे वे कोई शहीद हों, न कि खूंखार हत्यारे।
इस दृश्य ने एक बार फिर पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा उजागर कर दिया है – एक ऐसा मुल्क जो आतंकियों को पालता है, उनकी हत्याओं पर चुप रहता है, और अंत में उन्हें राष्ट्रीय गौरव का जामा पहनाता है।

क्या यह वही देश है जो हर मंच पर खुद को आतंकवाद का शिकार बताता है? अब दुनिया को यह समझने में देर नहीं करनी चाहिए कि पाकिस्तान आतंकवाद से पीड़ित नहीं, बल्कि उसका निर्माता और संरक्षक है।
पाक सेना के हाथों में झुका राष्ट्रीय झंडा और आतंकियों के ऊपर लहराता वही झंडा – यह दृश्य बताता है कि वहाँ राष्ट्र और आतंक का फर्क खत्म हो चुका है।

संयुक्त राष्ट्र, FATF, G20 और OIC को अब अपना मुखौटा उतारकर पाकिस्तान की ओर उंगली उठानी चाहिए। जो देश आतंकवादियों को सलामी देता है, वह अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए ख़तरा है – उसे अलग-थलग करना अब ज़रूरी नहीं, अनिवार्य है।
