जब कोई फ़्रेंचाइज़ी पाँचवें भाग तक पहुँच जाए, तो दर्शकों को उम्मीद होती है कि शायद इस बार कहानी में कुछ नया होगा — लेकिन ‘हाउसफुल 5’ में वही घिसा-पिटा प्लॉट, ओवरएक्टिंग, और जबरन ठूंसी गई कॉमेडी देखने को मिलती है।
स्टारकास्ट बड़ी है, पर दम नहीं है
अक्षय कुमार, रितेश देशमुख, बॉबी देओल, कृति सेनन, पूजा हेगड़े और जैकलीन फर्नांडिस जैसे नाम ज़रूर पोस्टर पर चमकते हैं, लेकिन स्क्रिप्ट के अभाव में ये सारे सितारे सिर्फ स्क्रीन टाइम भरते नज़र आते हैं। कोई भी किरदार ऐसा नहीं है जो दिल को छू सके या याद रह जाए। अक्षय कुमार हमेशा की तरह अपने चिर-परिचित अंदाज़ में हैं, लेकिन इस बार उनका करिश्मा भी फीका पड़ा है।
पटकथा: पुरानी बोतल में बासी मज़ाक
फिल्म की कहानी एक बार फिर उलझे हुए रिश्तों, गलतफहमियों और एक हवेली में हो रहे ड्रामे के इर्द-गिर्द घूमती है। लेकिन इस बार न तो ट्विस्ट में नयापन है, न ही हास्य की कोई समझदारी। सीन दर सीन ऐसा लगता है मानो निर्देशक ने सिर्फ पुराने हिट डायलॉग्स और सीक्वेंस को फिर से घिसकर पेश कर दिया है।
कॉमेडी: जबरदस्ती की हँसी
हंसी के नाम पर केवल दो ही विकल्प हैं – या तो दर्शक सिर पकड़ लें या थियेटर से बाहर निकल आएं। पंचलाइन या तो बहुत पुराने हैं या इतने बचकाने कि छोटे बच्चे भी न मुस्कराएँ। फिल्म में वल्गर जोक्स, ओवरएक्टिंग और चिल्ला-चोट का कोलाज बना दिया गया है, जो ‘हाउसफुल’ के पहले भाग की क्लासिक टोन से कोसों दूर है।
निर्देशन और संगीत: दोनों में निराशा
निर्देशक तरुण मनसुखानी और साजिद खान की जोड़ी इस बार भी दर्शकों को पकड़ पाने में विफल रही। संगीत भी खास नहीं है – दो-तीन गाने ज़रूर बजते हैं, पर ज़हन में नहीं ठहरते।
निष्कर्ष:
‘हाउसफुल 5’ एक ऐसी फिल्म है जिसमें सब कुछ है – बड़े सितारे, भारी बजट, विदेशी लोकेशन, लेकिन वो चीज़ नहीं है जो सबसे ज़रूरी होती है: एक दमदार स्क्रिप्ट और असली कॉमेडी।
अगर आप फ़िल्म में दिमाग बंद करके बस चेहरों को देखना चाहते हैं, तो ये फिल्म आपके लिए है। लेकिन अगर आप हँसी के साथ थोड़ी समझदारी और कहानी भी चाहते हैं, तो इस बार ‘हाउसफुल’ आपके लिए हॉलफुल नहीं बन पाएगी।
रेटिंग: ⭐⭐☆☆☆ (2/5)
