मुंबई पुलिस की ऐतिहासिक कार्रवाई: सभी धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए, शहर अब “लाउडस्पीकर मुक्त”

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सामने आया है। मुंबई पुलिस ने शहर के सभी धार्मिक स्थलों – मस्जिदों, मंदिरों, गुरुद्वारों और चर्चों – से लाउडस्पीकर हटा दिए हैं। यह कदम noise pollution नियंत्रण और कानून व्यवस्था की दृष्टि से लिया गया है, जिसे “Zero Loudspeaker Policy” के रूप में देखा जा रहा है।

🛑 अब न मंदिर की घंटियाँ गूंजेंगी, न मस्जिद से अज़ान की पुकार सुनाई देगी

मुंबई में अब कोई भी धार्मिक स्थल लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं कर सकेगा। यह पहली बार है जब एक बड़े महानगर को पूरी तरह से धार्मिक-ध्वनि मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया है। पुलिस का कहना है कि यह कदम Supreme Court और Bombay High Court के दिशा-निर्देशों के तहत Noise Pollution Control Rules के तहत लिया गया है।

पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा है –

“हम सुनिश्चित करेंगे कि दोबारा कोई लाउडस्पीकर न लगाए। इस आदेश का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

📱 टेक्नोलॉजी का सहारा: मस्जिदों में अब अज़ान मोबाइल ऐप से

मुंबई के कई मस्जिदों में अब “Azaan App” के ज़रिए अज़ान सुनने की शुरुआत हो चुकी है। यह ऐप दिन में पांच बार समयानुसार अज़ान का प्रसारण करेगा, जिससे धार्मिक परंपरा भी बनी रहे और ध्वनि प्रदूषण भी न हो।

🕉️ मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों में भी ‘साइलेंस मोड’

मंदिरों में भी आरती, भजन और प्रवचनों के लिए अब केवल आंतरिक स्पीकर या रेडियो-फ्रीक्वेंसी आधारित समाधान अपनाए जा रहे हैं। कई मंदिर प्रशासन ने सोशल मीडिया और मोबाइल ऐप्स के ज़रिए भक्तों तक धार्मिक प्रसारण पहुंचाने की व्यवस्था शुरू कर दी है।

📌 क्या है इस फैसले के पीछे की पृष्ठभूमि?

पिछले कुछ वर्षों से मुंबई और महाराष्ट्र में लाउडस्पीकर को लेकर विवाद गहराता गया था। एक ओर धार्मिक स्वतंत्रता की दुहाई दी जा रही थी, तो दूसरी ओर नागरिकों का कहना था कि उन्हें सुबह 5 बजे से लेकर देर रात तक शोर-शराबे से परेशानी होती है – चाहे वह अज़ान हो या जागरण।

कोर्ट और नागरिक संगठनों के दबाव में आखिरकार मुंबई पुलिस ने कठोर कदम उठाया और सभी धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटवा दिए।

🔥 सियासी पारा भी चढ़ा

इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मच गई है।

  • कुछ दल इसे धर्मनिरपेक्षता और कानून की जीत बता रहे हैं
  • तो कुछ इसे “धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला” मानते हुए विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।

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