भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। इसरो (ISRO) ने आधिकारिक रूप से घोषणा की है कि गुजरात में देश का दूसरा सबसे बड़ा अंतरिक्ष स्टेशन (Space Station) स्थापित किया जाएगा। यह निर्णय भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं, रणनीतिक ज़रूरतों और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
🇮🇳 क्यों अहम है यह स्पेस स्टेशन?
- यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा अंतरिक्ष स्टेशन होगा, जो अत्याधुनिक तकनीकों और रिसर्च सुविधाओं से लैस होगा।
- इसका उद्देश्य न केवल उपग्रह प्रक्षेपण (satellite launches) और निगरानी को सशक्त बनाना है, बल्कि भविष्य के मानव मिशनों और अंतरिक्ष प्रयोगों के लिए भी यह एक केंद्र बनेगा।
- इससे गगनयान मिशन, पृथ्वी अवलोकन, और रक्षा क्षेत्र से जुड़ी अंतरिक्ष गतिविधियों को भी नई रफ्तार मिलेगी।
🛰️ ISRO अध्यक्ष का बयान:

ISRO प्रमुख ने इस घोषणा को भारत की “अंतरिक्ष आत्मनिर्भरता” की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया। उन्होंने कहा:
“हम न केवल उपग्रह भेजना चाहते हैं, बल्कि अंतरिक्ष को भारत की ताकत और प्रयोगशाला भी बनाना चाहते हैं। गुजरात में बनने वाला यह केंद्र भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगा।”
📍गुजरात क्यों चुना गया?
सूत्रों के अनुसार, गुजरात के तटीय क्षेत्र, मौसम की अनुकूलता, भू-रणनीतिक स्थिति और पूर्व में मौजूद अंतरिक्ष गतिविधियों के अनुकूल माहौल को देखते हुए यह फैसला लिया गया।
यह स्थान रक्षा अनुसंधान और विकास संगठनों (DRDO), भारतीय नौसेना और समुद्री सुरक्षा के लिहाज से भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
🌌 भारत की स्पेस जर्नी को मिलेगा बूस्ट:
- पहले से मौजूद श्रीहरिकोटा (सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र) की क्षमता अब इस नए केंद्र के साथ दोगुनी होगी।
- भारत अपने स्वदेशी अंतरिक्ष मिशनों, अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण, और निजी क्षेत्र की भागीदारी को यहां से और गति देगा।
🔭 अंतरराष्ट्रीय नजरें भारत पर
इसरो के इस ऐलान के साथ ही दुनिया की अंतरिक्ष एजेंसियों की नजर अब भारत की नई रणनीति और अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर है। अमेरिका की NASA, रूस की Roscosmos और यूरोपीय एजेंसी ESA भारत के साथ सहयोग की संभावनाएं तलाश रही हैं।
📌 यह सिर्फ एक स्पेस स्टेशन नहीं, बल्कि भारत की अंतरिक्ष संप्रभुता का प्रतीक बनने जा रहा है। आने वाले वर्षों में यहां से न केवल उपग्रह बल्कि भारत के सपने भी अंतरिक्ष में उड़ान भरेंगे।