मोदी ने ट्रंप के कॉल्स अनसुने किए? जर्मन अख़बार का बड़ा दावा

अंतरराष्ट्रीय राजनीति से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। जर्मनी के प्रतिष्ठित अख़बार Frankfurter Allgemeine Zeitung (FAZ) की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार कॉल करने की कोशिश की, लेकिन पीएम मोदी ने उन कॉल्स को रिसीव नहीं किया।

FAZ रिपोर्ट क्यों है खास?

FAZ जर्मनी का बेहद सम्मानित और भरोसेमंद अख़बार है। उसकी रिपोर्टिंग को यूरोप ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में गंभीरता से लिया जाता है।

अख़बार ने अपने लेख में साफ लिखा:

“Trump ruft an, Modi hebt nicht ab.”
(ट्रंप फोन करते हैं, मोदी रिसीव नहीं करते।)

इसके साथ ही अख़बार ने आगे लिखा:

“Bisher hat der US-Präsident im Zollstreit alle Gegner kleingekriegt. Indien nicht. Stattdessen wendet sich das Land wieder China zu – und sieht über alte Wunden hinweg.”
(अब तक अमेरिकी राष्ट्रपति ने शुल्क विवाद में सभी विरोधियों को झुका लिया। लेकिन भारत नहीं। इसके बजाय भारत फिर से चीन की ओर बढ़ रहा है और पुरानी चोटों को नज़रअंदाज़ कर रहा है।)

क्या संकेत देता है यह कदम?

कूटनीति की दुनिया में बड़े नेताओं के कॉल्स को नज़रअंदाज़ करना असाधारण कदम माना जाता है। यह सिर्फ तकनीकी गलती नहीं बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है।
अगर पीएम मोदी ने वास्तव में कॉल रिसीव नहीं किए, तो यह दुनिया के लिए एक संकेत है कि भारत अब किसी भी दबाव में झुकने वाला नहीं है।

भारत की विदेश नीति की नई छवि

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी साख को मजबूत किया है। मोदी सरकार की नीति स्पष्ट रही है – भारत अपनी प्राथमिकताओं और हितों के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।
ट्रंप जैसे शक्तिशाली नेता के कॉल्स को अनसुना करना इसी आत्मविश्वास का प्रतीक है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भारत अब बराबरी की शर्तों पर ही बातचीत चाहता है।

चर्चा और हलचल

इस रिपोर्ट ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर भी लोग इसे लेकर चर्चा कर रहे हैं। कुछ लोग इसे भारत की मज़बूत विदेश नीति का प्रतीक बता रहे हैं, जबकि कुछ इसे एक अभूतपूर्व और अप्रत्याशित घटना मान रहे हैं।

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