राजभवन देहरादून से जारी संदेश
देहरादून, 31 अक्टूबर 2025।
उत्तराखण्ड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने प्रदेशवासियों को पारम्परिक लोकपर्व इगास-बग्वाल (बूढ़ी दिवाली) की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड की लोकसंस्कृति, कला और परंपराएँ हमारी अमूल्य धरोहर हैं, जिन्हें संजोकर रखना हर नागरिक का कर्तव्य है।
राज्यपाल ने कहा कि इगास-बग्वाल केवल दीपोत्सव का पर्व नहीं, बल्कि यह हमारी सामाजिक एकता, पारिवारिक मूल्यों और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का उत्सव भी है। इस पर्व में लोकजीवन की आत्मा बसती है—गांवों की चौपालों से लेकर पहाड़ों के मंदिरों तक हर जगह उल्लास और श्रद्धा का वातावरण झलकता है।
युवा पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने का आह्वान
अपने संदेश में राज्यपाल ने विशेष रूप से युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वे अपनी जड़ों और सांस्कृतिक पहचान से जुड़े रहें। उन्होंने कहा कि ऐसे लोकपर्व हमारे बच्चों और युवाओं को यह सिखाते हैं कि आधुनिकता की दौड़ में भी परंपरा की लय को जीवित रखना कितना आवश्यक है।
राज्यपाल ने कहा, “यह पर्व हमारी सामुदायिक एकता और प्रकृति के प्रति आदर का प्रतीक है। अपनी लोकपरंपराओं को सहेजना ही सच्चा सांस्कृतिक सम्मान है।”
प्रधानमंत्री के प्रयासों की सराहना
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा देश की मूल संस्कृति और स्थानीय त्योहारों को नई पहचान और प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के प्रयासों ने समाज में अपनी जड़ों के प्रति गर्व और आत्मीय जुड़ाव की भावना को मजबूत किया है।
राज्यपाल ने कहा कि इस दिशा में उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्यों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, जहां हर पर्व प्रकृति, लोककला और अध्यात्म का संगम प्रस्तुत करता है।
लोकसंस्कृति के संरक्षण का आह्वान
राज्यपाल ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे अपनी लोकसंस्कृति, परंपराओं और भाषा को सहेजने में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि जब तक हमारी अगली पीढ़ी इन पर्वों की भावना को समझेगी नहीं, तब तक हमारी संस्कृति की जड़ें मजबूत नहीं होंगी।
राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि इगास-बग्वाल पर्व प्रदेश में सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक एकता और आनंद का संदेश लेकर आएगा।
