जोधपुर में श्रद्धालुओं की बस ट्रेलर से टकराई: 18 की मौत, कोलायत दर्शन से लौटते वक्त मचा हाहाकार

ओंसिया के पास मौत का मंजर: मतोड़ा में खड़े ट्रेलर में जा घुसी बस

राजस्थान के जोधपुर जिले में रविवार सुबह एक भयावह सड़क हादसा हुआ, जिसने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। ओंसिया के निकट मतोड़ा थाना क्षेत्र में श्रद्धालुओं से भरी एक बस सड़क किनारे खड़े ट्रेलर में जा घुसी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि बस का अगला हिस्सा पूरी तरह पिचक गया। पुलिस ने पुष्टि की है कि 18 श्रद्धालुओं की मौके पर मौत हो गई, जबकि करीब आधा दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हैं।


कोलायत दर्शन से लौट रहे थे श्रद्धालु

यह दर्दनाक हादसा उस वक्त हुआ जब सूरसागर (जोधपुर) के श्रद्धालु बीकानेर के कोलायत दर्शन करके लौट रहे थे। श्रद्धा की यात्रा कुछ ही पलों में मातम में बदल गई। बस तेज रफ्तार में थी, और मतोड़ा क्षेत्र में सड़क किनारे खड़े ट्रेलर को चालक समय रहते देख नहीं पाया। भीषण टक्कर में बस के परखच्चे उड़ गए और अंदर बैठे यात्रियों की चीखें सुनकर आसपास का इलाका गूंज उठा।


प्रशासन और ग्रामीणों ने शुरू किया राहत कार्य

हादसे के तुरंत बाद ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी। मतोड़ थाना पुलिस मौके पर पहुंची और राहत-बचाव कार्य शुरू किया गया। बस के मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल किया गया। घायलों को जोधपुर के एम्स अस्पताल भेजा गया, जहां उनका इलाज जारी है। कई यात्रियों की हालत गंभीर बताई जा रही है।


मौके पर हृदयविदारक दृश्य

घटनास्थल पर बिखरे जूते-चप्पल, टूटी बस की सीटें और सड़क पर फैला सामान इस हादसे की भयावहता बयां कर रहे थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, बस में 30 से अधिक यात्री सवार थे, जिनमें ज्यादातर परिवार के सदस्य थे। पुलिस ने मृतकों के शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिए हैं और परिजनों को सूचना दी जा रही है।


मुख्यमंत्री ने जताया शोक, जांच के आदेश

राज्य सरकार ने इस दर्दनाक हादसे पर गहरा शोक जताया है। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए घायलों के समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं। साथ ही, हादसे की जांच के आदेश भी जारी किए गए हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि ट्रेलर बिना चेतावनी संकेत के सड़क किनारे क्यों खड़ा था।


सड़क सुरक्षा पर फिर उठे सवाल

यह हादसा एक बार फिर राजस्थान की सड़क सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है। तीर्थ यात्राओं के दौरान बसों की तेज रफ्तार और ट्रक-ट्रेलर की लापरवाही से हो रहे हादसे अब आम होते जा रहे हैं। हर दुर्घटना के बाद जांच का दौर शुरू होता है, लेकिन नतीजे शायद ही किसी ठोस सुधार तक पहुंचते हैं।

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