उत्तराखंड

हाईकोर्ट शिफ्टिंग पर रखी उद्यमियों ने अपनी राय, बोले- HC शिफ्ट हुआ तो क्या रहेगा कुमाऊं में

हाईकोर्ट शिफ्टिंग को लेकर चल रही कवायद पर रार थमने का नाम नहीं ले रही है। महिलाओं, अधिवक्ताओं, कर्मचारियों और व्यापारियों के बाद अब कुमाऊं के उद्यमी भी नहीं चाहते कि यहां से हाईकोर्ट को गढ़वाल में शिफ्ट किया जाए। उनका कहना है कि हाईकोर्ट ही तो कुमाऊं में एकमात्र बड़ी संस्था है। यदि इसे भी गढ़वाल शिफ्ट कर दिया जाएगा तो कुमाऊं में क्या ही रह जाएगा। ऊधमसिंह नगर जिले के उद्यमियों ने तो हाईकोर्ट को हल्द्वानी या उनके जिले में स्थापित करने की पैरवी की है।

उनका कहना है कि अगर शिफ्ट ही करना है तो ऊधमसिंह नगर जिला हाईकोर्ट स्थापित किए जाने के लिए हर मानक पर उपयुक्त है। यहां उतनी जमीन भी उपलब्ध है, जितनी हाईकोर्ट के लिए जरूरत है। रेल कनेक्टिविटी है, सड़क सुविधा है, एयरपोर्ट है, ऐसे में इसे यहां स्थापित किया जाता है तो यह गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मंडलों के लोगों के लिए सही होगा।.हाईकोर्ट को स्थापित करने के लिए जो मानक तय हैं, उनमें ऊधमसिंह नगर पूरी तरह से फिट है। रुद्रपुर में नेशनल हाईवे किनारे सौ एकड़ से अधिक सरकारी जमीन खाली पड़ी है। यहां से नजदीक में ही रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट है। यहां आवागमन सुगम है और जाम की कोई समस्या नहीं है।

– अशोक बंसल, अध्यक्ष, केजीसीसीआई

उच्च न्यायालय को अगर शिफ्ट ही किया जाना है तो उसके लिए सबसे उपयुक्त काशीपुर और रामनगर के आसपास का इलाका है। इससे पूरे प्रदेश के वादकारियों को सबसे ज्यादा लाभ होगा।
-राजीव घई, काशीपुर डेवलपमेंट फोरम अध्यक्ष व उद्योगपति

हाईकोर्ट के लिए हल्द्वानी में जमीन चिह्नित है, लेकिन रुद्रपुर ज्यादा बेहतर है। नैनीताल में किसी केस की पैरवी पर जाने पर पूरा दिन खपाना पड़ता है। पर्यटन सीजन के साथ ही ठंड में नैनीताल में भारी दिक्कतें होती हैं। हाईकोर्ट को कुमाऊं से बाहर शिफ्ट नहीं करना चाहिए।
– श्रीकर सिन्हा, अध्यक्ष, सिडकुल इंटरप्रिन्योर वेलफेयर सोसायटी।

रामनगर-काशीपुर के बीच ऊधमसिंह नगर क्षेत्र में हाईकोर्ट की स्थापना कर दी जाए। यहां से कुमाऊं व गढ़वाल दोनों के निवासियों के लिए हाईकोर्ट आने- जाने में सुगमता होगी।  हाईकोर्ट को कुमाऊं से बाहर शिफ्ट नहीं करना चाहिए।
– कृष्ण सत्यवली, अध्यक्ष, सितारगंज सिडकुल इंडस्ट्रीज वेलफेयर एसोसिएशन।

तराई के रुद्रपुर में हाईकोर्ट को शिफ्ट किया जाना चाहिए। व्यापारियों के जीएसटी संबंधी केसों के लिए हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ता है। ऐसे में ऋषिकेश हाईकोर्ट होने से भारी कठिनाइयां सामने आएंगी। रुद्रपुर से गढ़वाल व कुमाऊं के सभी जिलों के लोग आसानी से आ जा सकेंगे।
– सौरभ सिंघल, अध्यक्ष राइस मिलर्स एसोसिएशन।कुमाऊं में हाईकोर्ट का अहम स्थान है। हाईकोर्ट को अगर शिफ्ट करना ही है तो गौलापार उपयुक्त जगह है। सरकार को भी इसको लेकर आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए।

-दीपक शर्मा, भीमताल इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष।

कुमाऊं उत्तराखंड का अभिन्न अंग है। हाईकोर्ट कुमाऊं से नहीं जाना चाहिए। नैनीताल से अगर हाईकोर्ट हटता है तो स्वागत योग्य है। क्योंकि स्थानीय लोगों के अलावा अधिवक्ताओं, यात्रियों के अलावा सैलानियों को भी दिक्कत हो रही थी। जिले में ही कोई अन्य जगह एचएमटी या गौलापार जहा सहूलियत हो वहां हाईकोर्ट को ले जाना चाहिए।
– विजय तिवारी, बालाजी सेल्स के स्वामी।

कुमाऊं के पास हाईकोर्ट और नैनीताल के सिवा कुछ नहीं है। गढ़वाल में चारधाम यात्रा, हरिद्वार में कुंभ मेला होने के कारण वहां काफी विकास हुआ है। गौलापार सुंदर जगह है, यहां नया हल्द्वानी बसाया जा सकता है। अगर यहां नहीं तो रामनगर और रुद्रपुर में भी देखा जा सकता है।
– प्रमोद गोयल, नैनीताल एग्रो प्रोडक्ट के स्वामी।

नैनीताल पर्यटन स्थल है। लोगों को असुविधा न हो ऐसी जगह तलाशनी चाहिए। हल्द्वानी राज्य का सेंटर प्लेस है। हल्द्वानी में ही पांच से 10 किमी के दायरे में जहां वाहनों के आवागमन में दिक्कत न हो हाईकोर्ट को शिफ्ट किया जाना चाहिए।
– पीयूष डालाकोटी, केमिकल्स एंड मिनरल्स स्वामी हल्द्वानी।

हाईकोर्ट को नैनीताल से शिफ्ट करना कुमाऊं के हर व्यक्ति की अनदेखी है। इससे पर्यटन कारोबार पर सीधा असर पड़ेगा। कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे। हाईकोर्ट गौलापास में स्थापित होना चाहिए। यदि इसे गढ़वाल शिफ्ट किया तो कारोबारी भी आंदोलन करेंगे।
– कमला होम स्टे संचालक, कटारमल, अल्मोड़ा।

हाईकोर्ट को नैनीताल से दूर किए जाने पर लोगों को आवाजाही करने की समस्या झेलनी पड़ेगी। रानीबाग या उधमसिंह नगर फिर भी एक अच्छा विकल्प है। जनता को इसमें आसानी होगी।इस पर विचार किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट कुमाऊं में ही रहना चाहिए।
– पुष्पा कांडपाल, महिला उद्यमी हल्द्वानी।

हाईकोर्ट को नैनीताल जिले में ही कहीं अन्यत्र शिफ्ट किया जाने तक ठीक है लेकिन उससे बाहर यह फैसला सही नहीं है। इससे राजधानी के बाद अब न्याय के मामलों के लिए गढ़वाल के चक्कर काटने पड़ेगे। मैं हाईकोर्ट को शिफ्ट किए जाने के पक्ष में कतई नहीं हूं। इसे कुमाऊं में ही रहना चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button