देहरादून से लेकर बैंगलुरु तक फैला डिजिटल अरेस्ट स्कैम का जाल: STF उत्तराखण्ड ने 87 लाख की ठगी का किया भंडाफोड़, मास्टरमाइंड गिरफ्तार

🧠 देशभर में सक्रिय डिजिटल ठग गिरोह का खुलासा

उत्तराखण्ड की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक बार फिर साइबर अपराधियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर देशभर में फैल चुके ‘डिजिटल अरेस्ट स्कैम’ का पर्दाफाश किया है। देहरादून और नैनीताल के दो पीड़ितों से 87 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी करने वाले इस गिरोह के मुख्य सरगना किरण कुमार के.एस. को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया है।

यह वही स्कैम है जिसमें साइबर ठग खुद को पुलिस, सीबीआई या ईडी अधिकारी बताकर वीडियो कॉल पर लोगों को “डिजिटली अरेस्ट” कर उनके बैंक खातों से रकम ट्रांसफर करा लेते हैं।


🚨 कैसे फंसाए गए थे पीड़ित?

साइबर अपराधियों ने खुद को ग्रेटर मुंबई पुलिस ऑफिसर और सीबीआई अधिकारी बताकर व्हाट्सएप वीडियो कॉल के ज़रिए पीड़ितों को धमकाया।
उन्होंने दावा किया कि उनके नाम पर फर्जी बैंक खाते खोले गए हैं जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा पैसा जमा हुआ है।
48 घंटे तक लगातार डिजिटल अरेस्ट में रखकर डर और दबाव के बीच पीड़ितों से कुल ₹87 लाख रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर करवा लिए गए।

जांच के दौरान STF को पता चला कि ठगी में इस्तेमाल किए गए बैंक खातों से 9 करोड़ रुपये से अधिक की संदिग्ध लेनदेन हुई है और देशभर से 24 से ज्यादा शिकायतें इस खाते के खिलाफ दर्ज हैं।


🧩 साइबर क्राइम का मॉडस ऑपरेंडी

यह स्कैम हाई-टेक ठगी का नया चेहरा बन गया है। अपराधी फोन या वीडियो कॉल के जरिए पहले सरकारी अधिकारी बनते हैं — कभी सीबीआई, कभी नारकोटिक्स, कभी ED।
वे लोगों को बताते हैं कि उनके नाम से हवाला या ड्रग्स से जुड़ा पार्सल पकड़ा गया है या उनके खातों में संदिग्ध रकम जमा हुई है।
इसके बाद “जांच” के नाम पर पीड़ितों को डिजिटल हाउस अरेस्ट कर दिया जाता है और उन्हें कहा जाता है कि वे अपनी रकम “RBI सत्यापन खाते” में डाल दें।
धीरे-धीरे पूरा पैसा ठगों के कब्जे में चला जाता है।


👮 STF की सटीक कार्रवाई

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक STF नवनीत सिंह के नेतृत्व में और आईजी निलेश आनंद भरणे की देखरेख में गठित साइबर टीम ने महीनों की जांच के बाद आरोपित का पता लगाया।

जांच में पता चला कि देहरादून निवासी पीड़ित से अगस्त-सितंबर 2025 में ₹59 लाख रुपये YES बैंक खाते में ट्रांसफर कराए गए थे।
यह खाता “राजेश्वरी GAK एंटरप्राइज” नाम की फर्म का था, जिसका संचालन किरण कुमार कर रहा था।

टीम ने तकनीकी विश्लेषण, बैंक लॉग, कॉल रिकॉर्ड और CAF डिटेल के आधार पर बेंगलुरु में छापेमारी की।
किरण कुमार के घर से पुलिस ने बरामद किया:

  • 3 मोबाइल फोन
  • OTP के लिए इस्तेमाल किए गए 2 सिम कार्ड
  • एक लैपटॉप
  • चार बैंक खातों की चेकबुक
  • UPI QR कोड स्कैनर
  • और संदिग्ध ट्रांजेक्शन के कई दस्तावेज़

पुलिस ने उसे 9 नवंबर 2025 को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया।


📑 अभियुक्त और सह-अभियुक्त

गिरफ्तार:

  • किरण कुमार के.एस., उम्र 31 वर्ष, निवासी येलहंका ओल्ड टाउन, बेंगलुरु
    सह-अभियुक्त (नोटिस 35(3) BNSS):
  • राजेश्वरी रानी, पत्नी मुत्थु स्वामी, निवासी बैंगलुरु, हाल तमिलनाडु

किरण कुमार के खिलाफ पहले भी दिल्ली, कुमाऊं और अन्य राज्यों में कई साइबर अपराध दर्ज हैं।


🛡️ STF की अपील: डिजिटल अरेस्ट से बचाव ही सबसे बड़ा बचाव

STF उत्तराखण्ड के SSP नवनीत सिंह ने जनता से सतर्कता बरतने की अपील की है।
उन्होंने कहा —

“कोई भी सरकारी एजेंसी ऑनलाइन गिरफ्तार नहीं करती। यदि कोई खुद को सीबीआई, पुलिस या ईडी अधिकारी बताकर व्हाट्सएप या वीडियो कॉल पर आपको धमकाए, तो तुरंत कॉल डिस्कनेक्ट करें और 1930 या cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराएं।”

उन्होंने यह भी चेताया कि —

  • गूगल से कस्टमर केयर नंबर सर्च न करें
  • YouTube लाइक या टेलीग्राम इन्वेस्टमेंट ऑफर पर भरोसा न करें
  • “कम समय में दोगुना लाभ” जैसे प्रस्ताव धोखाधड़ी के संकेत हैं

👁️‍🗨️ पुलिस टीम की भूमिका

  • निरीक्षक राजेश सिंह
  • उपनिरीक्षक जगमोहन सिंह
  • कांस्टेबल सुधीश खत्री
    इन अधिकारियों ने मामले की गहराई से पड़ताल कर सटीक तकनीकी विश्लेषण के जरिए पूरे नेटवर्क की परतें खोलीं।

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