भारत और चीन के बीच संबंधों में एक नई प्रगति दर्ज हुई है। सोमवार को भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच एक अहम बैठक में कैलास मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया। यह निर्णय दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को सुधारने और जनता के बीच आपसी संपर्क को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
कैलास मानसरोवर यात्रा
हिंदू धर्म में कैलास पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। कैलास मानसरोवर यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह तिब्बती क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता का अनुभव करने के लिए भी जानी जाती है। लंबे समय से चीन के क्षेत्र से गुजरने वाली यह यात्रा भारत और चीन के बीच तनाव के कारण बंद थी। इस यात्रा को फिर से शुरू करना लाखों श्रद्धालुओं के लिए बड़ी खुशी की बात है।
सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने की मंजूरी
बैठक में कैलास मानसरोवर यात्रा के साथ-साथ भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने पर भी सैद्धांतिक सहमति बनी। कोविड-19 महामारी के दौरान इन उड़ानों को बंद कर दिया गया था, जिससे दोनों देशों के बीच यात्रा करना कठिन हो गया था। अब इस फैसले से व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में तेजी आने की उम्मीद है।
यह फैसला दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार का संकेत देता है। पिछले कुछ वर्षों में लद्दाख और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव के कारण भारत-चीन संबंधों में खटास आई थी। हालांकि, इस बैठक से यह साफ हो गया है कि दोनों देश कूटनीतिक स्तर पर संवाद बढ़ाने और सहयोग के नए रास्ते तलाशने के इच्छुक हैं।
कैलास मानसरोवर यात्रा और सीधी उड़ानों को पुनः शुरू करने का फैसला केवल शुरुआत है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली में मदद करेगा और व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सीमा विवाद जैसे मुद्दों पर आगे की बातचीत के लिए मंच तैयार करेगा।
इस फैसले से भारत और चीन के नागरिकों के बीच संपर्क और सांस्कृतिक संबंध मजबूत होंगे, और दोनों देशों के संबंधों में नई ऊर्जा का संचार होगा।