भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को बैंकिंग प्रणाली में तरलता (लिक्विडिटी) बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। आरबीआई ने घोषणा की है कि वह 60,000 करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियां (गवर्नमेंट सिक्योरिटीज) तीन चरणों में खरीदेगा। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने बैंकिंग प्रणाली में नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अन्य उपायों की भी घोषणा की है।
तरलता संकट पर आरबीआई का ध्यान
पिछले पखवाड़े में भारतीय बैंकिंग प्रणाली को भारी तरलता संकट का सामना करना पड़ा। 24 जनवरी को समाप्त हुए पखवाड़े में, बैंकिंग प्रणाली का औसत दैनिक तरलता घाटा 2.39 ट्रिलियन रुपये पर पहुंच गया, जो एक साल में सबसे ऊंचा स्तर है। इस बढ़ते घाटे के कारण आरबीआई को हस्तक्षेप करना पड़ा और बैंकिंग प्रणाली में नकदी बढ़ाने के लिए यह बड़ा कदम उठाना पड़ा।
आरबीआई की रणनीति
आरबीआई ने तीन चरणों में सरकारी प्रतिभूतियां खरीदने का निर्णय लिया है, जिससे बाजार में नकदी की उपलब्धता में सुधार होगा।
- इससे न केवल बैंकिंग प्रणाली की तरलता में सुधार होगा, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा।
- बाजार में ब्याज दरों के स्थिर बने रहने में भी यह कदम सहायक हो सकता है।
- आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह बाजार की स्थिति और तरलता स्तर पर लगातार नजर रखेगा और जरूरत पड़ने पर आगे भी उचित कदम उठाएगा।
तरलता संकट के कारण
तरलता संकट के पीछे कई कारण रहे हैं:
- टैक्स भुगतान और सरकारी उधारी के बढ़ते दबाव के चलते बैंकिंग प्रणाली में नकदी की कमी हुई।
- बाजार में ऊंचे क्रूड ऑयल प्राइस और फेडरल रिजर्व की नीतियों के कारण वैश्विक आर्थिक दबाव भी महसूस किया गया।
बाजार पर प्रभाव
आरबीआई के इस कदम से बाजार को राहत मिलने की उम्मीद है।
- बैंकिंग सेक्टर: सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद से बैंकों की फंडिंग लागत में कमी आ सकती है।
- शेयर बाजार: इस फैसले से सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि तरलता बढ़ने से निवेश बढ़ने की संभावना है।
- उधार दरें: बाजार में तरलता बढ़ने से उधार लेने की लागत में कमी आ सकती है, जिससे कॉरपोरेट्स और आम जनता को लाभ होगा।
आरबीआई का यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग प्रणाली को स्थिर बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। विशेषज्ञों का मानना है कि तरलता में सुधार से न केवल बैंकिंग सेक्टर को लाभ होगा, बल्कि समग्र आर्थिक गतिविधियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
कुल मिलाकर, आरबीआई का यह हस्तक्षेप समय पर लिया गया एक प्रभावी कदम है, जो देश की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में सहायक साबित होगा।