प्रयागराज | मौनी अमावस्या के शुभ अवसर पर प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर श्रद्धा का ऐसा महासागर उमड़ा, जिसने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। आधी रात से ही लाखों श्रद्धालु संगम तट पर पहुंचने लगे और जैसे-जैसे सूरज उगता गया, यह संख्या करोड़ों में बदलती गई। अनुमान है कि आज 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई है।
स्नान का विराट दृश्य:
संगम पर आस्था का ऐसा महासंगम देखने को मिला, जिसने हर किसी को अचंभित कर दिया। श्रद्धालु ‘हर-हर गंगे’ और ‘जय गंगा मैया’ के जयकारे लगाते हुए ठंडे पानी में डुबकी लगाते नजर आए। देश के कोने-कोने से आए लोग अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष की कामना करते हुए गंगा मैया के चरणों में समर्पण कर रहे थे।
महाकुंभ ने रचा नया इतिहास:
महाकुंभ के इस आयोजन में अब तक 15 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम पर स्नान कर चुके हैं। यह संख्या न केवल कुंभ के इतिहास में बल्कि विश्व के किसी भी धार्मिक आयोजन में सबसे अधिक बताई जा रही है। वाराणसी और अयोध्या जैसे धार्मिक स्थलों पर भी श्रद्धालुओं की बाढ़ देखने को मिली, जो इस महापर्व को और भी खास बना रही है।
आधुनिक व्यवस्थाओं का अभूतपूर्व उदाहरण:
इतनी बड़ी भीड़ के बावजूद प्रशासन की कड़ी व्यवस्था और तकनीकी प्रबंधन ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया है। स्नान घाटों पर साफ-सफाई, सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस बल, मेडिकल कैंप और खाने-पीने की व्यवस्था को श्रद्धालुओं ने सराहा।
सांसारिक और आध्यात्मिक अनुभव का संगम:
श्रद्धालु न केवल स्नान के लिए आए, बल्कि आध्यात्मिक शांति, भजन-कीर्तन और साधु-संतों के प्रवचन सुनने का भी आनंद उठा रहे हैं। संगम का माहौल पूरी तरह भक्तिमय है।
महाकुंभ के इस अद्भुत दृश्य ने यह साबित कर दिया है कि सनातन संस्कृति की गहराई और आस्था का ज्वार समय के साथ और बढ़ता जा रहा है। मौनी अमावस्या का यह पर्व युगों-युगों तक स्मरणीय रहेगा।