भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को एक नई ऊंचाई देने के लिए मोदी सरकार एक ऐतिहासिक क़दम उठाने जा रही है—‘Zero-for-Zero Tariff’ प्रस्ताव। इसके तहत भारत अमेरिकी औद्योगिक उत्पादों पर आयात शुल्क खत्म करने के बदले अमेरिका से भारतीय उत्पादों के लिए भी वही रियायत चाहता है। अगर यह समझौता साकार होता है, तो दोनों देशों के व्यापारिक हितों को जबरदस्त मजबूती मिलेगी।
‘Modinomics’ की वैश्विक रणनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की आर्थिक कूटनीति लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। ‘Zero-for-Zero Tariff‘ प्रस्ताव भारत को वैश्विक व्यापार का हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। इस डील के जरिए भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में बेहतरीन अवसर मिलेंगे, जिससे व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में झुकेगा।
चीन और कनाडा को झटका, भारतीय व्यापारियों को राहत
अमेरिका की नीति पहले ही चीन और कनाडा के उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाने की ओर बढ़ रही है। ऐसे में भारत के पास अमेरिका को एक विश्वसनीय व्यापारिक साझेदार के रूप में खुद को स्थापित करने का यह सुनहरा अवसर है। अगर चीन के उत्पाद महंगे होते हैं, तो भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धा में बाजी मार सकते हैं। यही कारण है कि ‘Zero-for-Zero Tariff’ नीति न सिर्फ भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि भारतीय उद्योगों को वैश्विक बाजार में और प्रभावी बनाएगी।
‘Make in India’ को मिलेगी नई रफ्तार
भारत में उत्पादित वस्तुओं को अमेरिकी बाजार में बिना किसी शुल्क के एंट्री मिलने से ‘Make in India‘ और ‘Atmanirbhar Bharat‘ को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा। इससे भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा और निर्यात आधारित विकास को नई दिशा मिलेगी।
मोदी सरकार की निर्णायक व्यापार नीति
मोदी सरकार की यह नीति दिखाती है कि भारत अब ‘संभावनाओं का बाजार’ नहीं, बल्कि ‘नियम तय करने वाला खिलाड़ी’ बन रहा है। अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को इस तरह संतुलित करना कूटनीतिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर भारत के आत्मविश्वास को दर्शाता है।
यह कदम सिर्फ एक व्यापारिक सौदा नहीं, बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था में भारत की बढ़ती शक्ति का प्रमाण है। ‘Zero-for-Zero Tariff’ प्रस्ताव ‘Modinomics’ का नया अध्याय लिखने के लिए तैयार है।