चारधाम यात्रा 2025 का भव्य शुभारंभ: गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुले, केदारनाथ-बद्रीनाथ की प्रतीक्षा में श्रद्धालु

अक्षय तृतीया के पुण्यकाल में जब सूर्य की किरणें हिमालय की बर्फीली चोटियों पर पड़ीं, उत्तरकाशी के गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में दिव्यता और भक्तिभाव का अद्वितीय संगम देखने को मिला। परंपरागत वैदिक मंत्रोच्चार और ढोल-नगाड़ों की मधुर गूंज के बीच चारधाम यात्रा 2025 का विधिवत शुभारंभ हो गया है।

गंगोत्री धाम में कपाट खुलते ही सबसे पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से की गई, जो श्रद्धा और राष्ट्र नेतृत्व के सामंजस्य का प्रतीक बन गई। इसी प्रकार, यमुनोत्री धाम में भी वैदिक रीति से पूजा संपन्न हुई और माता यमुना की पहली झलक पाने को हजारों श्रद्धालु आतुर दिखे।

सड़क मार्गों पर उमड़ा आस्था का सैलाब

यात्रा के पहले ही दिन उत्तराखंड की वादियों में हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। ऋषिकेश, हरिद्वार, उत्तरकाशी, टिहरी और रुद्रप्रयाग जैसे प्रमुख स्थानों पर सड़क मार्गों पर लंबी कतारें और भक्तों का हुजूम देखा गया। राज्य सरकार ने इस बार यात्रा को अधिक सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए विशेष प्रबंध किए हैं — जिसमें हेल्थ चेकअप कैंप, मोबाइल टॉयलेट्स, और हाईटेक कंट्रोल रूम शामिल हैं।

केदारनाथ धाम: डोली रवाना, भैरवनाथ की पूजा के साथ कपाट खुलने की तैयारी

2 मई 2025, शुक्रवार, सुबह 7 बजे — यही वो शुभ घड़ी है जब केदारनाथ धाम के कपाट भक्तों के लिए खोले जाएंगे। लेकिन इससे पहले बाबा केदार की उत्सव डोली पंचकेदार मार्ग से रवाना हो चुकी है और रास्ते में जगह-जगह श्रद्धालु पुष्पवर्षा कर रहे हैं। भैरवनाथ जी की पूजा, जो केदारनाथ की सुरक्षा के प्रतीक माने जाते हैं, विधिवत संपन्न हो चुकी है, जो कपाटोद्घाटन से पूर्व एक अनिवार्य अनुष्ठान है।

बद्रीनाथ धाम की प्रतीक्षा: 4 मई को खुलेंगे कपाट

4 मई 2025, रविवार के दिन, भगवान विष्णु के दिव्य धाम बद्रीनाथ के कपाट खोले जाएंगे। नंदा गांव से भगवान बदरीविशाल की उत्सव डोली पहले ही यात्रा पर निकल चुकी है। यात्रा के दौरान स्थानीय लोग अपने पारंपरिक परिधानों में भगवान की अगवानी कर रहे हैं।

धार्मिक अनुशासन: रील्स पर सख्त रोक

चारधाम यात्रा की पवित्रता और गरिमा बनाए रखने के उद्देश्य से राज्य प्रशासन ने धार्मिक स्थलों पर सोशल मीडिया रील्स बनाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। विशेष निगरानी टीमों को नियुक्त किया गया है जो भक्तों को पूजा और दर्शन में अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रेरित कर रही हैं।

चारधाम: न केवल यात्रा, बल्कि आत्मशुद्धि का अभियान

चारधाम यात्रा भारत की धार्मिक चेतना का स्तंभ है। ये केवल तीर्थ नहीं, आत्मा को उसकी मूल पहचान दिलाने वाली यात्राएँ हैं — जहां गंगा की निर्मल धारा, यमुना का शीतल आशीर्वाद, केदार की तपस्या और बदरीनाथ की भक्तिपूर्ण ऊर्जा, चारों दिशाओं से मनुष्य को आलोकित करती हैं।

 

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