उल्लू की वेब सीरीज़ ‘हाउस अरेस्ट’ में एजाज खान द्वारा महिला प्रतियोगी से “different s* positions”* दिखाने की मांग और फिर बेहिचक यह पूछना – “Have you not experimented?” आज के डिजिटल मनोरंजन के उस अंधेरे को उजागर करता है, जिसमें सस्ती लोकप्रियता के लिए हर सीमा तोड़ी जा रही है।
पर यह कोई पहली घटना नहीं है।
याद कीजिए सोशल मीडिया पर वायरल हुआ विवादित शो – “India’s Got Latent” – जो अपनी अश्लील सामग्री के कारण सुप्रीम कोर्ट तक खिंच गया था। कोर्ट ने ऐसे कंटेंट को “सार्वजनिक नैतिकता, महिला गरिमा और भारतीय सामाजिक मूल्यों के विरुद्ध” करार देते हुए तीखी टिप्पणियाँ कीं और स्पष्ट कहा –
“डिजिटल स्वतंत्रता, सामाजिक अश्लीलता की छूट नहीं बन सकती।”
तो फिर सवाल उठता है – सरकार और सेंसर तंत्र अब तक मौन क्यों है?
OTT प्लेटफॉर्म्स – उल्लू, कूकू, प्राइम शॉट्स – अब केवल कामुकता की मंडी बन चुके हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अब तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिया।
सेंसर बोर्ड ने OTT के नाम पर अपना हाथ खींच लिया।
और जनता, या तो व्यूज दे रही है या आँखे मूंदे बैठी है।
क्या हम एक ऐसी पीढ़ी तैयार कर रहे हैं, जो संबंधों को केवल ‘एपिसोड’ और ‘पोज़िशन’ के नजरिए से देखेगी?
अगर आज एजाज खान कठघरे में हैं, तो साथ में सरकार, सेंसर बोर्ड और OTT नीति की विफलता भी वहाँ खड़ी है।
अब समय आ गया है – या तो इन प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रण दो, या समाज की नैतिकता को अलविदा कह दो।