आज वह पावन क्षण आया, जब समस्त ब्रह्मांड के आराध्य, देवों के देव महादेव की दिव्य स्थली श्री केदारनाथ धाम के कपाट विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए सुबह 7 बजे खोल दिए गए। समस्त चारधाम यात्रा की आत्मा माने जाने वाले केदारनाथ के कपाटोद्घाटन के साथ ही उत्तराखंड की वादियाँ ‘हर हर महादेव’ के जयघोष से गूंज उठीं।
हिमालय की गोद में बसा यह धाम न केवल एक तीर्थ है, बल्कि आत्मा की परम यात्रा का द्वार है। पंचकेदारों में प्रमुख और द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री केदारनाथ का कपाट आज ब्रह्ममुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चारण, रुद्राभिषेक, और पारंपरिक पूजा के साथ खोला गया। भक्तों की भावनाएँ उमड़ीं और आकाश गूंज उठा—मानो स्वयं शिव ने अपने भक्तों का आलिंगन किया हो।
एक व्यक्तिगत अनुभूति: शिव के श्रीचरणों में उपस्थिति
यह मेरे लिए एक अलौकिक सौभाग्य का क्षण रहा कि मैं स्वयं महादेव के श्रीचरणों में उपस्थित होकर इस दिव्य क्षण का साक्षी बन सका। जब कपाट खुले, और प्रथम आरती के साथ दीपशिखा महादेव के अर्चना रूप पर पड़ी, तो वह दृश्य शब्दों से परे था। यह केवल आंखों से देखने का नहीं, आत्मा से अनुभव करने का विषय था।
चारधाम यात्रा का शुभारंभ: आत्मा के उत्थान की ओर कदम
केदारनाथ धाम के कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा का आधिकारिक शुभारंभ हो गया है। यह यात्रा केवल एक भौतिक यात्रा नहीं, बल्कि चेतना की ऊर्ध्व गति है। लाखों श्रद्धालु अब बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की ओर प्रस्थान करेंगे, परंतु केदारनाथ का अनुभव—उस हिमालयी निस्तब्धता में स्थित शिवस्वरूप—सभी यात्राओं का सार है।
आप सभी को इस पुण्य अवसर पर चारधाम यात्रा की मंगलकामनाएँ।
शिव स्वयं पथ-प्रदर्शक बनें, और यह यात्रा केवल मार्गों से नहीं, आत्मा से तय हो।
हर हर महादेव।