संसद में ‘एकतरफा लोकतंत्र’ की कोशिश? राहुल बोले – “मुझे भी बोलने नहीं देते!” | विपक्ष गरजा: पहलगाम पर जवाब दो, भागो मत!

नई दिल्ली |

संसद का मानसून सत्र 2025 जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, सत्ता और विपक्ष के बीच की दरार गहरी होती जा रही है। पहले दिन से ही विपक्ष ने सरकार को घेरने का अभियान छेड़ दिया है, लेकिन उनका आरोप है कि न सिर्फ चर्चा से बचा जा रहा है बल्कि नेता विपक्ष को बोलने से भी रोका जा रहा है।

राहुल गांधी का तीखा प्रहार:
आज सदन में जब नेता विपक्ष राहुल गांधी खड़े हुए तो उन्होंने साफ कहा:

“मैं नेता विपक्ष हूं। सदन में बोलना मेरा हक है। लेकिन ये लोग मुझे भी बोलने नहीं देते हैं। सरकार के मंत्रियों को तो खुलकर बोलने दिया जाता है, मगर विपक्ष की आवाज दबा दी जाती है।”

उनका यह बयान न सिर्फ सदन में गूंजा, बल्कि बाहर भी तीखी प्रतिक्रिया का कारण बना।

प्रियंका गांधी ने साधा निशाना:
कांग्रेस महासचिव और सांसद श्रीमती प्रियंका गांधी ने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा:

“अगर सरकार हर विषय पर बात करने को तैयार है तो चर्चा करे, लेकिन नेता विपक्ष को बोलने नहीं देती। ऐसा क्यों?”

उन्होंने इस रवैये को लोकतंत्र के खिलाफ बताया और सवाल उठाया कि “क्या संसद अब सिर्फ सरकार की मन की बात सुनने की जगह बन गई है?”


🔥 “सरकार जवाब नहीं देती, बस टालती है” – विपक्ष

राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने बताया कि विपक्ष ने नियम 267 के तहत नोटिस देकर प्रधानमंत्री से सीधी चर्चा की मांग की है। उन्होंने कहा:

“हमने सरकार से कहा कि प्रधानमंत्री सदन में आएं, दोनों सदनों में उपस्थित रहें और पहलगाम हमले, ऑपरेशन सिंदूर, और सेना के पराक्रम पर चर्चा करें।

हम देश की सेना को उनके शौर्य के लिए बधाई देना चाहते हैं। साथ ही उन 26 भारतीय नागरिकों की शहादत पर चर्चा भी जरूरी है, जिनकी जान गई।

22 अप्रैल को हमला हुआ और आज 21 जुलाई है — हमें आज तक यह नहीं पता कि वे आतंकी कौन थे, कहां गए?”


🔍 कौन से सवालों से सरकार भाग रही है?

विपक्ष लगातार सरकार से इन प्रमुख मुद्दों पर जवाब मांग रहा है:

  • पहलगाम आतंकी हमला: कितने आतंकी मारे गए? हमले के बाद कार्रवाई क्या हुई?
  • ऑपरेशन सिंदूर: क्या इस अभियान की पुष्टि अमेरिका द्वारा की गई सीजफायर से जुड़ी है?
  • चुनाव प्रक्रिया (बिहार): क्या जनता के वोटिंग अधिकार को छीना जा रहा है?
  • विपक्ष की आवाज क्यों दबाई जा रही है?

🧨 एकतरफा संसद बनती जा रही है सदन?

AICC महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था:

“अगर सरकार कहती है कि वो चर्चा को तैयार है, तो अब तक चर्चा क्यों नहीं हुई? ये सदन अब एकतरफा हो गया है — जहां सिर्फ सरकार की बात होती है और विपक्ष को चुप कराया जाता है।”


लोकतंत्र या ‘मौनतंत्र’?

जब संसद के भीतर विपक्ष के नेता को बोलने नहीं दिया जाता, तो लोकतंत्र का स्वरूप सवालों में घिर जाता है। क्या यह नई राजनीतिक रणनीति है — सवालों से भागो, चर्चा टालो, और माइक बंद कर दो?

सरकार का यह कहना कि वह चर्चा को तैयार है, और विपक्ष का यह आरोप कि बोलने नहीं दिया जा रहा — यह टकराव आने वाले दिनों में और बढ़ने वाला है।

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