प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद में विपक्ष को करारा जवाब देते हुए PoK और Aksai Chin जैसे संवेदनशील मुद्दों पर इतिहास की तल्ख सच्चाइयों को उजागर किया। प्रधानमंत्री मोदी ने जहां पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा, वहीं अमित शाह ने जवाहरलाल नेहरू की चीन नीति को आड़े हाथों लिया।
पीएम मोदी का तीखा सवाल:
प्रधानमंत्री ने कहा,
“कुछ लोग हमसे पूछते हैं कि हम PoK वापस क्यों नहीं लेते। मैं पूछना चाहता हूं कि PoK को दुश्मन ने कब्ज़ा कैसे किया? किसकी सरकार थी तब? लम्हों ने ख़ता की, सदियों ने सज़ा पाई!”
यह बयान सीधा-सीधा 1947-48 में हुए पहले भारत-पाक युद्ध और उसके परिणामस्वरूप बने हालातों की ओर इशारा करता है, जब नेहरू सरकार के निर्णयों के चलते PoK पाकिस्तान के कब्जे में चला गया।
गृहमंत्री अमित शाह का व्यंग्य:
गृहमंत्री अमित शाह ने भी नेहरू की नीतियों पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा:
“नेहरू जी ने अक्साई चिन चीन को दे दिया और कहा – वहाँ तो घास का तिनका भी नहीं उगता, उसका क्या करेंगे?”
फिर शाह ने कटाक्ष करते हुए कहा:
“नेहरू जी का सिर भी मेरे जैसा था। एक सांसद ने कहा – यहाँ भी बाल नहीं उगते, तो क्या ये भी चीन को दे दें?”
सदन में इस बयान पर हंसी का माहौल बना लेकिन इसके पीछे छिपा संदेश गहरा था – भारत की भू-राजनीतिक विफलताओं के पीछे तत्कालीन नेतृत्व की कमजोरी और अदूरदर्शिता।
राजनीतिक मायने:
NDA नेतृत्व की यह रणनीति साफ है – वो कांग्रेस के ऐतिहासिक निर्णयों को जनता के सामने बार-बार उठाकर यह संदेश देना चाहते हैं कि आज जो समस्याएं हैं, उसकी जड़ें कांग्रेस की नीतियों में हैं। संसद के इस सत्र में केंद्र सरकार विपक्ष को रक्षात्मक मुद्रा में ला चुकी है।
अंदरूनी सुरक्षात्मक और आक्रामक राजनीति:
PM मोदी और HM शाह दोनों ने जिस शैली में अपने बयान दिए, वो दर्शाता है कि आने वाले समय में सरकार विदेश नीति, सुरक्षा और इतिहास के मोर्चे पर कांग्रेस को कोई राहत देने के मूड में नहीं है।