केदारनाथ यात्रा में फिर संकट: मुनकटिया में चट्टानों ने रोका रास्ता, SDRF ने रेस्क्यू कर बचाई 1489 यात्रियों की जान

Headlinesip Bureau | उत्तराखंड

29 जुलाई की रात केदारनाथ यात्रा मार्ग पर एक बार फिर कुदरत का कहर देखने को मिला। सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच मुनकटिया क्षेत्र में भारी बारिश और लगातार चट्टानों के गिरने के कारण यात्रा मार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया।

मौसम की मार और पहाड़ों का गुस्सा ऐसा था कि जेसीबी मशीनें भी रात के अंधेरे में बेबस नजर आईं। सुरक्षा कारणों से रात के समय मलबा हटाने का काम रोकना पड़ा, जिससे सड़क बहाली का कार्य अस्थायी रूप से टालना पड़ा।

जान जोखिम में डाल कर किया गया रेस्क्यू

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए SDRF (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) ने मोर्चा संभाला और यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया।

दोपहर 5 बजे तक के आंकड़े चौंकाने वाले थे —
👨 पुरुष यात्रियों की संख्या: 1173
👩 महिला यात्री: 270
👦 बच्चे: 46
🔢 कुल रेस्क्यू किए गए लोग: 1489

एसडीआरएफ की सतर्कता और प्रशासन की तत्परता ने एक बड़ी त्रासदी को टाल दिया। टीम ने पहाड़ों के खतरनाक हालात के बीच यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।

क्यों नहीं हटाया गया मलबा रात में?

रात के समय लगातार गिरती चट्टानों और भूस्खलन के चलते JCB मशीनें भी संचालन नहीं कर सकीं। अधिकारियों के अनुसार, “अंधेरे में मलबा हटाने की कोशिश करना जानलेवा हो सकता था। पत्थरों के गिरने की गति और दिशा का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल होता है। इसलिए सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया।”

प्रशासन ने जारी की अपील

एसडीआरएफ और जिला प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि वे मौसम विभाग और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। अनावश्यक जोखिम न उठाएं और यात्रा से पहले मौसम की जानकारी अवश्य लें।

पहाड़ों में यात्रा, लेकिन सतर्कता जरूरी

केदारनाथ यात्रा आस्था का प्रतीक है, लेकिन प्रकृति के बीच की यह यात्रा जोखिम से भरी भी है। हर वर्ष मानसून के दौरान यह मार्ग अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है। ऐसे में यात्रियों को अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए प्रशासनिक निर्देशों का पालन करना जरूरी है।

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