जयपुर, 24 सितम्बर। राजधानी जयपुर में आयोजित “विकसित भारत संकल्प सम्मेलन” के तहत “राष्ट्र प्रथम” अंतरराष्ट्रीय विचार गोष्ठी में राष्ट्र भावना, देशभक्ति और विकास को लेकर गहन विमर्श हुआ। इस मौके पर राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे और विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने अपने विचार रखते हुए राष्ट्र को सर्वोपरि मानने का संदेश दिया।
राज्यपाल श्री बागडे ने कहा कि “राष्ट्र प्रथम” केवल नारा नहीं, बल्कि यह देश प्रेम से जुड़ी गहरी भावना है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अमेरिका लगातार भारत को दबाव में लाने का प्रयास करता है, जबकि वहां की प्रतिभा का अधिकांश हिस्सा भारतीय मूल का है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में किए गए परमाणु परीक्षण को राष्ट्र प्रथम की सोच का सबसे बड़ा उदाहरण बताया।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज देश तेजी से बड़े फैसले ले रहा है। 25 करोड़ से अधिक जनधन खाते खुलना, कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराना, भारत का दूध उत्पादन में विश्व में प्रथम और गेहूं उत्पादन में दूसरा स्थान प्राप्त करना– ये सभी उदाहरण राष्ट्र प्रथम की भावना को जीवंत करते हैं। उन्होंने कहा कि 280 करोड़ हाथ जब विकास में जुटेंगे तो भारत निश्चित रूप से विश्वगुरु के रूप में आगे बढ़ेगा।
इस अवसर पर राज्यपाल श्री बागडे ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को समर्पित पुस्तक “कर्म गाथा” का लोकार्पण भी किया।
विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्र कोई सीमित परिभाषा नहीं बल्कि जीवंत दर्शन है। उन्होंने आह्वान किया कि भारतीय उत्पादों का उपयोग कर “राष्ट्र प्रथम” की भावना को साकार किया जाए। उन्होंने विद्यालयों में पाठ्यक्रम और शिक्षकों के माध्यम से छात्रों में राष्ट्रीय भावना और संस्कार निर्माण पर विशेष जोर दिया।
उन्होंने कहा कि शिक्षा का उपयोग केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रहित के लिए होना चाहिए। भारत तेजी से विकास की राह पर है, लेकिन विकसित राष्ट्र नहीं चाहते कि भारत आगे बढ़े। ऐसे में हर नागरिक को मिलकर भारत को आत्मनिर्भर और विश्वगुरु बनाने के लिए कार्य करना होगा।
इससे पहले महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज के संस्थापक डॉ. एम.एल. स्वर्णकार, श्री किशोर रुंगटा और डॉ. महेश शर्मा ने भी अपने विचार रखे।
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