भारत के सर्वोच्च न्यायालय में नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी शुरू हो गई है। जस्टिस बी.आर. गवई के कार्यकाल के बाद 24 नवंबर 2025 को जस्टिस सूर्यकांत देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) का पद संभालेंगे। उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा।
संघर्ष और संकल्प की कहानी
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म और पालन-पोषण हरियाणा के एक साधारण परिवार में हुआ। शिक्षा और मेहनत की लगन ने उन्हें वह मुकाम दिया, जहाँ वे अब देश की सर्वोच्च अदालत के नेतृत्व की जिम्मेदारी संभालेंगे। उनके इस सफर में व्यक्तिगत संघर्षों और समाज के लिए न्याय की प्रतिबद्धता ने उन्हें और भी प्रेरणादायक बनाया।
न्यायपालिका में उनका योगदान
जस्टिस सूर्यकांत हमेशा जनता के नजदीक रहे हैं। उनके न्यायिक करियर में कई ऐसे फैसले शामिल हैं, जिन्होंने आम नागरिकों के अधिकारों और समाज के कमजोर तबकों के कल्याण को सुनिश्चित किया। उनके निर्णय केवल कानूनी दृष्टि से नहीं, बल्कि मानवीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से अपने करियर की शुरुआत की और हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 2019 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति ने उनके न्यायिक सफर को नई ऊँचाई दी।
जस्टिस बी.आर. गवई के बाद नई जिम्मेदारी
जस्टिस बी.आर. गवई का कार्यकाल 23 नवंबर 2025 को समाप्त होगा। उनके बाद न्यायपालिका का नेतृत्व जस्टिस सूर्यकांत संभालेंगे। यह परिवर्तन केवल संवैधानिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि न्यायपालिका की निरंतरता और जन-विश्वास की पुष्टि भी है।
भविष्य की उम्मीदें
विशेषज्ञों का मानना है कि जस्टिस सूर्यकांत का नेतृत्व सामाजिक न्याय और पारदर्शिता को और सशक्त बनाएगा। उनका कार्यकाल न केवल कानूनी मामलों में, बल्कि प्रशासनिक सुधारों और न्याय की पहुँच को आम जनता तक पहुँचाने में भी महत्वपूर्ण साबित होगा।
उनका व्यक्तित्व और अनुभव यह संदेश देते हैं कि न्याय सिर्फ़ किताबों में नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में महसूस होना चाहिए।