जयपुर: राजस्थान में भाजपा सरकार ने अवैध अप्रवासियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 500 लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें 394 रोहिंग्या और 106 बांग्लादेशी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, इनमें से कई संदिग्ध कट्टर अपराधी हैं, जिनकी पहचान और गतिविधियों पर लंबे समय से निगरानी रखी जा रही थी।
यह कार्रवाई आगामी बजट सत्र से ठीक पहले की गई है, जिसे राज्य की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी पेश करने वाली हैं। इस कदम को राज्य में बढ़ते अवैध अप्रवासियों और उनके कथित आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
अवैध अप्रवासियों की गतिविधियां: सुरक्षा पर सवाल
राज्य खुफिया विभाग और स्थानीय पुलिस के संयुक्त ऑपरेशन में इन अप्रवासियों को अलग-अलग इलाकों से गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार, इनमें से कुछ लोग फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर देश में घुसपैठ कर रहे थे। कई ऐसे भी हैं, जो गंभीर आपराधिक मामलों में संदिग्ध पाए गए हैं।
सूत्र बताते हैं कि इनमें से कुछ का संबंध मादक पदार्थ तस्करी, मानव तस्करी और अन्य अपराधों से भी हो सकता है। पुलिस इन सभी से पूछताछ कर रही है ताकि उनके नेटवर्क का खुलासा किया जा सके।
दीया कुमारी का बयान
उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने इस कार्रवाई की सराहना की है। उन्होंने कहा, “राजस्थान में अवैध अप्रवासियों के लिए कोई जगह नहीं है। ये लोग न केवल देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक ढांचे को भी कमजोर कर रहे हैं। भाजपा सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने और राजस्थान को सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
राजनीतिक प्रभाव और विपक्ष की प्रतिक्रिया
भाजपा सरकार के इस कदम को आगामी चुनावों से जोड़कर भी देखा जा रहा है। विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए इसे “राजनीतिक स्टंट” करार दिया है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा, “सरकार को केवल दिखावटी कार्रवाई के बजाय जमीनी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।”
वहीं, आम जनता के बीच इस कार्रवाई को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ लोग इसे सराहनीय मानते हैं, जबकि अन्य इसे मानवाधिकारों के उल्लंघन के रूप में देख रहे हैं।
सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
गिरफ्तार किए गए सभी अप्रवासियों की पहचान और उनके आपराधिक रिकॉर्ड की जांच की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में और भी सख्त कार्रवाई हो सकती है।
राजस्थान में इस बड़ी कार्रवाई ने राज्य और देशभर में एक नई बहस को जन्म दिया है। क्या यह कदम राज्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में सही है, या फिर यह राजनीतिक समीकरण साधने की कोशिश है? यह देखना बाकी है।