नई दिल्ली: भारत के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के चयन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बीच हाई-वोल्टेज बैठक के बाद ज्ञानेश कुमार को यह महत्वपूर्ण पद सौंपा गया है। हालाँकि, इस निर्णय को लेकर विपक्षी नेता राहुल गांधी ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई और बैठक से बाहर चले गए।
चयन प्रक्रिया और विवाद
नए कानून के तहत अब भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को चयन समिति से हटा दिया गया है और उनकी जगह एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया है। इस परिवर्तन को लेकर विपक्ष ने पहले ही आपत्ति जताई थी। नए सीईसी के चयन के लिए समिति को तीन में से दो मतों की आवश्यकता थी, जिसे सरकार ने पूरा कर लिया।
राहुल गांधी का तर्क था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस नए कानून की संवैधानिक वैधता पर निर्णय नहीं ले लेता, तब तक मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया को रोक दिया जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने उनकी असहमति को खारिज कर दिया और बहुमत के आधार पर ज्ञानेश कुमार को अगला मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया।
राहुल गांधी का बैठक से वॉकआउट
इस फैसले से असंतुष्ट राहुल गांधी बैठक से बाहर चले गए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर कर रही है और निष्पक्ष चुनावों के लिए चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को खतरे में डाल रही है। हालाँकि, समिति में बहुमत होने के कारण सरकार ने उनकी आपत्ति को खारिज कर दिया।
तेजी से हुई नियुक्ति, अधिसूचना जल्द जारी
बिना किसी विलंब के, सरकार ने ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया है। संभावना है कि कुछ ही घंटों में उनकी नियुक्ति की आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
सियासी टकराव की नई जमीन
यह नियुक्ति राजनीतिक गलियारों में गर्मागर्मी का विषय बन गई है। विपक्षी दलों ने सरकार पर चुनाव आयोग को अपने प्रभाव में लेने का आरोप लगाया है, जबकि सत्ता पक्ष इसे संविधान सम्मत प्रक्रिया बता रहा है। अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट पर है, जहाँ नए कानून को चुनौती दी गई है।
आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीतिक टकराव और तेज हो सकता है, जिससे भारत की चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठ सकते हैं।