क्या वॉशिंगटन और बीजिंग के रिश्ते अब सैन्य टकराव की ओर बढ़ रहे हैं?
बीजिंग और वॉशिंगटन के बीच व्यापारिक तनाव अब एक नए मोड़ पर पहुंच चुका है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीन पर लगाए गए सख्त टैरिफ के बाद, चीन ने न केवल कड़ा विरोध जताया, बल्कि अपनी सैन्य तैयारियों को भी सार्वजनिक रूप से उजागर किया। चीनी दूतावास के हालिया बयान ने वैश्विक भू-राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। बयान में कहा गया है कि चीन “किसी भी प्रकार के युद्ध” के लिए तैयार है—यह महज व्यापार युद्ध की धमकी है या इससे कहीं अधिक गंभीर संकेत?
बढ़ा रक्षा बजट, बढ़ी बेचैनी
चीन ने 2025 के लिए अपने रक्षा बजट में 7.2% की वृद्धि की घोषणा की है, जिससे यह साफ हो जाता है कि बीजिंग सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि सैन्य ताकत में भी अमेरिका को कड़ी टक्कर देने के मूड में है। चीन का यह कदम वैश्विक परिदृश्य में एक नए शक्ति संतुलन की आहट दे रहा है।
अमेरिका और चीन के बीच जारी यह संघर्ष केवल व्यापारिक घाटे या टैरिफ वॉर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्व व्यवस्था में वर्चस्व की जंग भी बन चुका है। वाशिंगटन को यह डर सता रहा है कि चीन का बढ़ता सैन्य खर्च इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी पकड़ को चुनौती दे सकता है। दूसरी ओर, चीन यह जताने की कोशिश कर रहा है कि अब वह केवल एक आर्थिक महाशक्ति नहीं, बल्कि एक सैन्य महाशक्ति भी है, जो अपने हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
क्या अमेरिका-चीन संबंध टकराव की ओर बढ़ रहे हैं?
चीन की यह आक्रामक भाषा और रक्षा बजट में वृद्धि संकेत देती है कि बीजिंग अब वॉशिंगटन के हर कदम का जवाब देने के लिए तैयार है। अमेरिकी नेतृत्व को इस बयान के निहितार्थों पर गंभीरता से विचार करना होगा। क्या यह केवल शक्ति प्रदर्शन है, या फिर दोनों देशों के बीच वास्तविक सैन्य तनाव की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है?
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि व्हाइट हाउस इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है। क्या अमेरिका और चीन के बीच यह तनातनी केवल व्यापार युद्ध तक सीमित रहेगी, या फिर दुनिया एक और बड़े टकराव की ओर बढ़ रही है?