उत्तराखंड की सियासी फिजा एक बार फिर गर्म हो चली है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अटकलों का बाजार पूरी तरह से गर्म है। चार खाली कैबिनेट कुर्सियों को भरने की चर्चाओं के बीच, कुछ मौजूदा मंत्रियों की कुर्सियां भी हिलने लगी हैं। सत्ता के गलियारों में गूंज रही कानाफूसी अगर सही साबित हुई, तो उत्तराखंड की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है।
दिल्ली की हरी झंडी का इंतजार, लेकिन क्या सबकुछ इतना आसान है?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के हालिया बयान ने अटकलों को और हवा दे दी है। उन्होंने इशारों-इशारों में साफ कर दिया कि कैबिनेट विस्तार अब दूर नहीं है, लेकिन फैसला केंद्रीय नेतृत्व के हाथ में है। हर बार की तरह इस बार भी राजनीतिक हलकों में सवाल उठ रहे हैं—कहीं फिर से दिल्ली की हरी झंडी का इंतजार लंबा तो नहीं हो जाएगा?
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री धामी खुद भी अपनी टीम को मजबूत करने के इच्छुक हैं, लेकिन कुछ नामों को लेकर भाजपा हाईकमान असमंजस में है। दिल्ली दरबार से हरी झंडी न मिलने की वजह से अब तक विस्तार लटका हुआ है। इस बार क्या समीकरण बदलेगा, यह देखने वाली बात होगी।
‘परफॉर्म या बाहर!’ – परफॉर्मेंस मीटर पर किसकी कुर्सी खतरे में?
उत्तराखंड कैबिनेट में कई मंत्रियों के प्रदर्शन पर पिछले कुछ महीनों से सवाल उठ रहे हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो एक कैबिनेट मंत्री को उनके कमजोर प्रदर्शन के चलते हटाया जा सकता है। इतना ही नहीं, अब एक और नाम सत्ता के गलियारों में गूंजने लगा है, जिसे संभावित तौर पर बदले जाने की चर्चा जोरों पर है।
सूत्रों के मुताबिक, हाईकमान मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कर रहा है और परफॉर्मेंस मीटर पर जो खरा नहीं उतर रहा, उसकी छुट्टी लगभग तय मानी जा रही है। अब सवाल यह उठता है—क्या धामी टीम में बड़ा फेरबदल होने वाला है?
क्षेत्रीय संतुलन और जातीय समीकरण—नई कुर्सियों पर कौन बैठेगा?
चार खाली पदों को भरते समय क्षेत्रीय संतुलन और जातीय गणित का खास ध्यान रखा जाएगा। कुमाऊं बनाम गढ़वाल की राजनीति इस फैसले में बड़ी भूमिका निभाने वाली है। भाजपा नेतृत्व इस बात को भली-भांति समझता है कि 2024 के चुनावों से पहले किसी भी गलत कदम से पार्टी की जमीन खिसक सकती है।
कई वरिष्ठ नेताओं की निगाहें खाली पड़े पदों पर हैं, लेकिन हाईकमान का रुख अभी स्पष्ट नहीं है। वहीं, कुछ नए चेहरों को मौका देने की भी चर्चा चल रही है। क्या भाजपा युवा नेताओं को आगे लाएगी या फिर पुराने दिग्गजों को ही तरजीह मिलेगी? यह जल्द ही साफ होने वाला है।
कैबिनेट विस्तार की टाइमिंग—चुनावी गणित में फिट बैठेगा या फिर से टल जाएगा?
हर बार जब सीएम धामी दिल्ली दौरे पर जाते हैं, तो मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज हो जाती हैं। लेकिन हर बार यह मामला किसी न किसी वजह से लटक जाता है। इस बार भी कई सियासी जानकार मान रहे हैं कि अगर जल्द ही फैसला नहीं हुआ, तो यह मामला फिर ठंडे बस्ते में जा सकता है।
प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि अगर भाजपा नेतृत्व कैबिनेट विस्तार करता है, तो यह 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर होगा। सवाल यह है—क्या भाजपा का प्रदेश नेतृत्व अपने पत्ते सही तरीके से खेल पाएगा, या फिर इस बार भी सस्पेंस बरकरार रहेगा?
आने वाले दिन होंगे अहम!
उत्तराखंड की राजनीति में अगले कुछ दिनों में बड़ा धमाका हो सकता है। नए चेहरों की एंट्री और पुराने चेहरों की छुट्टी की पटकथा लगभग तैयार है। अब बस इंतजार है तो केंद्रीय नेतृत्व के उस अंतिम फैसले का, जो तय करेगा कि धामी सरकार की नई टीम कैसी होगी। क्या यह फैसला पार्टी की स्थिति मजबूत करेगा, या फिर असंतोष के बीज बो देगा? यह देखने के लिए सबकी निगाहें भाजपा के अगले कदम पर टिकी हैं!