नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की को एक महत्वपूर्ण सलाह दी है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘मिलियन डॉलर एडवाइस’ कहा जा रहा है। पीएम मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि युद्ध का मैदान कभी समाधान नहीं ला सकता, बल्कि स्थायी हल केवल बातचीत की मेज पर ही निकलेगा।
पीएम मोदी की स्पष्ट चेतावनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मैं राष्ट्रपति जेलेंस्की को मित्रवत ढंग से समझाता हूँ कि चाहे दुनिया में कितने भी देश आपके समर्थन में खड़े हों, लेकिन युद्ध के मैदान में कभी समाधान नहीं मिलेगा। समाधान तब आएगा जब यूक्रेन और रूस वार्ता की मेज पर बैठेंगे।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस-यूक्रेन युद्ध को दो साल से अधिक हो चुके हैं और दोनों पक्षों के बीच शांति वार्ता की कोई ठोस पहल नहीं दिख रही। पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त यूक्रेन अभी भी सैन्य संघर्ष को जारी रखे हुए है, जबकि रूस अपनी रणनीतिक पकड़ मजबूत करने में जुटा है।
क्या यह वैश्विक परिप्रेक्ष्य बदल सकता है?
पीएम मोदी का यह बयान वैश्विक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण संकेत के रूप में देखा जा रहा है। भारत ने हमेशा युद्ध की बजाय शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है, लेकिन इस बार मोदी ने सीधे तौर पर जेलेंस्की को वार्ता की सलाह देकर दुनिया को यह संदेश दिया है कि सैन्य समर्थन से अधिक महत्वपूर्ण कूटनीतिक समाधान है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान पश्चिमी देशों के लिए भी एक संकेत हो सकता है कि वे हथियार भेजने की जगह शांति वार्ता को बढ़ावा दें। भारत पहले भी कई बार यूक्रेन-रूस विवाद में मध्यस्थता की पेशकश कर चुका है, लेकिन पश्चिमी देशों और यूक्रेन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
यूक्रेन पर क्या असर पड़ेगा?
जेलेंस्की सरकार पर लगातार दबाव बढ़ रहा है। अमेरिका और यूरोप से सैन्य सहायता पर निर्भर यूक्रेन को यह समझना होगा कि अनिश्चितकाल तक युद्ध जारी रखना उसके हित में नहीं है। पश्चिमी मीडिया भी अब यह सवाल उठा रहा है कि क्या यूक्रेन को युद्ध को प्राथमिकता देने के बजाय कूटनीतिक समाधान पर ध्यान देना चाहिए।
रूस की प्रतिक्रिया क्या होगी?
रूस पहले भी भारत की तटस्थ और शांति-समर्थक भूमिका को सराह चुका है। अगर यूक्रेन वार्ता की दिशा में बढ़ता है, तो रूस इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकता है। हालांकि, व्लादिमीर पुतिन की शर्तें सख्त हो सकती हैं, क्योंकि रूस अब युद्ध में रणनीतिक बढ़त हासिल कर चुका है।
भारत की भूमिका और विश्व राजनीति पर असर
भारत लगातार यह साबित कर रहा है कि वह सिर्फ एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है। पीएम मोदी का यह बयान भारत की कूटनीतिक समझ और विश्व मामलों में बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। भारत, जो जी20 सम्मेलन के दौरान भी शांति की अपील कर चुका था, अब सीधे जेलेंस्की को वार्ता का संदेश देकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत कर रहा है।
क्या जेलेंस्की इस सलाह को मानेंगे?
यह देखना दिलचस्प होगा कि जेलेंस्की इस सलाह पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। अगर यूक्रेन वार्ता की दिशा में आगे बढ़ता है, तो यह युद्ध के अंत की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। लेकिन अगर जेलेंस्की और पश्चिमी देश इसे अनदेखा करते हैं, तो युद्ध अनिश्चितकाल तक जारी रह सकता है, जिससे यूक्रेन की स्थिति और कमजोर होगी।
पीएम मोदी की यह ‘मिलियन डॉलर एडवाइस’ केवल जेलेंस्की ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है—युद्ध कभी समाधान नहीं होता, समाधान केवल संवाद से ही निकलेगा। अब यह देखना होगा कि क्या यूक्रेन इस सलाह को गंभीरता से लेता है, या फिर युद्ध की अनिश्चितता जारी रहती है।