मेड्रिड/लिस्बन – सोमवार को स्पेन और पुर्तगाल में अचानक आई बिजली आपूर्ति की भीषण आपदा ने पूरे इबेरियन प्रायद्वीप को हिलाकर रख दिया। करोड़ों लोग पलभर में अंधेरे में डूब गए। न इंटरनेट, न मोबाइल नेटवर्क, न ही कोई आपातकालीन संपर्क — दोनों देशों में मानो एक साथ समय थम गया हो।
अचानक बुझ गई रौशनी, थम गई ज़िंदगी
सुबह का समय था, जब लाखों लोग अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त थे, तभी अचानक पूरे शहरों की बत्तियाँ झपक कर बुझ गईं। दुकानें अंधेरे में डूब गईं, ऑफिसों में कंप्यूटर बंद हो गए, अस्पतालों में उपकरण ठहर गए और घरों में हलचल थम गई। रेलगाड़ियाँ बीच रास्ते में रुक गईं, मेट्रो सेवाएं धड़ाम हो गईं और एयरपोर्ट्स पर अफरातफरी फैल गई।
रिपोर्ट्स के अनुसार, मेड्रिड, बार्सिलोना, सेविले, लिस्बन, पोर्टो जैसे बड़े शहरों के अलावा सैकड़ों कस्बे और गांव भी इस ब्लैकआउट की चपेट में आ गए। कई जगहों पर नागरिकों ने अंधेरे में सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन भी शुरू कर दिया।
हाहाकार के दृश्य, सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर
यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई। सिग्नल्स के बंद हो जाने से सड़कों पर जाम लग गया, दुर्घटनाओं की खबरें भी सामने आईं।
बिजली के बिना काम करने वाले अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाओं पर भारी दबाव पड़ गया। कुछ अस्पतालों में बैकअप जनरेटर भी जवाब दे गए, जिससे गंभीर मरीजों की जान खतरे में पड़ गई।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, संकट की गंभीरता को देखते हुए सेना और आपातकालीन दलों को तैयार रहने के निर्देश दे दिए गए हैं।
रहस्य से घिरा संकट: तकनीकी गड़बड़ी या साइबर हमला?
अब तक बिजली आपूर्ति में इस स्तर के व्यापक फेल्योर के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है।
ऊर्जा मंत्रालय ने एक संभावित ग्रिड फेल्योर का अनुमान लगाया है, लेकिन कई विशेषज्ञ इससे ज्यादा गहरी साजिश की ओर भी इशारा कर रहे हैं। कुछ साइबर सुरक्षा विश्लेषकों का दावा है कि यह कोई साधारण तकनीकी गड़बड़ी नहीं हो सकती — संभव है कि यह एक सुनियोजित साइबर हमला हो।
स्पेन और पुर्तगाल दोनों देशों की सरकारों ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। एनर्जी ग्रिड सिस्टम के हर हिस्से की बारीकी से जांच की जा रही है, और सुरक्षा एजेंसियों ने किसी भी विदेशी हस्तक्षेप की संभावना से इनकार नहीं किया है।
नागरिकों में भय का माहौल, सोशल मीडिया पर आक्रोश
अंधेरे में फंसे नागरिकों ने सोशल मीडिया पर सरकार की लापरवाही पर तीखे सवाल उठाए। ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर #BlackoutSpain और #PortugalCrisis जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लोगों ने अस्पतालों, स्कूलों और घरों से दिल दहला देने वाली तस्वीरें और वीडियोज शेयर किए, जिनमें भय, असहायता और गुस्सा साफ झलक रहा था।
“हमें 21वीं सदी में भी इस तरह अंधकार में धकेल दिया गया! सरकार जवाब दे!” — एक नागरिक ने सोशल मीडिया पर लिखा।
यूरोप को झटका: क्या पूरी प्रणाली खतरे में है?
विशेषज्ञों का कहना है कि इस संकट ने पूरे यूरोप को चेतावनी दे दी है। अगर ग्रिड फेल्योर या साइबर हमला इतनी आसानी से लाखों लोगों को प्रभावित कर सकता है, तो अगला निशाना कोई और देश भी हो सकता है। इस घटना ने यह भी उजागर कर दिया है कि आधुनिक समाज किस हद तक बिजली और डिजिटल नेटवर्क पर निर्भर हो चुका है — और उसकी रक्षा के इंतजाम कितने कमजोर हैं।
सरकारों की प्रतिक्रिया: “स्थिति नियंत्रण में लाने के प्रयास तेज़ी से जारी”
स्पेन और पुर्तगाल दोनों सरकारों ने आपातकालीन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जनता को आश्वस्त करने की कोशिश की। ऊर्जा मंत्रालयों ने कहा है कि “स्थिति नियंत्रण में है” और “धीरे-धीरे बिजली बहाल की जा रही है।”
हालाँकि ग्राउंड रिपोर्ट्स कहती हैं कि कई बड़े शहरों और ग्रामीण इलाकों में अब भी बिजली बहाल नहीं हो सकी है।
यह भीषण अंधकार का दिन दोनों देशों के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो चुका है। इस संकट से न केवल सिस्टम की कमजोरी उजागर हुई है, बल्कि एक बार फिर यह सवाल खड़ा हो गया है — क्या हमारी आधुनिक दुनिया वास्तव में सुरक्षित है?