गांव की समृद्धि से भारत समृद्ध बनेगा: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पंचायती प्रतिनिधियों को दी आधुनिक प्रशिक्षण की सौगात

देहरादून

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की ग्रामीण विकास नीतियों में एक नया अध्याय जोड़ते हुए गुरुवार को सचिवालय में पंचायती राज विभाग के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने राज्य की सभी स्तर की पंचायतों — ग्राम, क्षेत्र और जिला — को सशक्त और आधुनिक बनाने के लिए बहुआयामी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि “गांव मजबूत होंगे, तभी भारत विकसित बनेगा।”

विकसित भारत 2047: पंचायतों को मिला भविष्य का रोडमैप

सीएम धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “विकसित भारत 2047” की संकल्पना को ज़मीन पर उतारने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों को तकनीकी, प्रशासनिक और वित्तीय मामलों में प्रशिक्षित करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत सदस्यों को इस तरह से तैयार किया जाए कि वे न केवल योजनाओं को समझें, बल्कि उन्हें प्रभावी ढंग से लागू भी कर सकें।

इंटीग्रेटेड पंचायत भवन: सभी सेवाएं एक छत के नीचे

मुख्यमंत्री ने राज्यभर में “इंटीग्रेटेड पंचायत भवन” बनाने का निर्देश दिया। ये बहुद्देश्यीय भवन ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी, आशा कार्यकर्ता और अन्य स्थानीय सेवाओं के लिए एक साझा केंद्र होंगे। इन भवनों में एक संयुक्त ड्यूटी रोस्टर लागू होगा ताकि ग्रामीणों को एक ही जगह पर सभी ज़रूरी सेवाएं मिल सकें। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीणों को सरकारी प्रक्रियाओं में आसानी भी होगी।

बजट प्लानिंग में सुधार और शहरीकरण का पूर्वानुमान

सीएम धामी ने पंचायत स्तर पर बजट निर्माण की प्रक्रिया को अधिक संगठित और योजनाबद्ध बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बजट केवल कागजों की औपचारिकता न हो, बल्कि यह विकास का सशक्त उपकरण बने। इसके साथ ही उन्होंने यह निर्देश भी दिया कि पंचायती राज विभाग अगले 15 वर्षों में किन ग्रामीण क्षेत्रों का शहरी रूपांतरण हो सकता है — इसका विस्तृत अध्ययन कराए, ताकि नीतियों में पहले से तैयारी हो सके।

ग्राम सभा दिवस बने उत्सव: संस्कृति से जोड़ने की पहल

एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पहल करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हर ग्राम सभा की स्थापना तिथि को ‘ग्राम उत्सव’ के रूप में मनाया जाए। इसमें स्थानीय मेलों, सामूहिक सभाओं और महान विभूतियों की जयंती को शामिल कर एक वार्षिक कैलेंडर बनाया जाए। इससे न केवल ग्रामीण समाज की भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि पंचायतों को सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन से भी गहराई से जोड़ा जा सकेगा।

ई-गवर्नेंस और पारदर्शिता: हर पंचायत की निगरानी होगी ऑनलाइन

मुख्यमंत्री ने पंचायती योजनाओं की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग और ई-गवर्नेंस को मजबूती से लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पंचायतों के सभी कार्यों का नियमित ऑडिट किया जाए और उसे सार्वजनिक पोर्टल पर उपलब्ध कराया जाए, जिससे जनता स्वयं भी निगरानी कर सके और पारदर्शिता बनी रहे।

समावेशी विकास और जन शिकायतों का त्वरित समाधान

सीएम धामी ने पंचायती योजनाओं को समावेशी और संतुलित बनाने पर ज़ोर देते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति या क्षेत्र विकास से वंचित न रहे। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि प्रत्येक पंचायत स्तर पर शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित की जाए, जिसमें समयबद्ध ढंग से शिकायतों का समाधान सुनिश्चित किया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि,

“ग्राम ही आत्मनिर्भर भारत का आधार है। जब पंचायतें मजबूत होंगी, तभी हर व्यक्ति को विकास का लाभ मिलेगा।”

उत्तराखंड सरकार की इस पहल से यह स्पष्ट है कि राज्य प्रशासन अब गांवों को केवल योजनाओं के क्रियान्वयन का स्थान नहीं, बल्कि विकास का प्राथमिक केंद्र मानकर चल रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *