कोटद्वार, 18 सितंबर 2025
उत्तराखंड के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक धरोहर कण्वाश्रम को अब वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। विधानसभा अध्यक्ष एवं क्षेत्रीय विधायक ऋतु खण्डूडी भूषण ने आज कण्वाश्रम के दौरे के दौरान इसकी झलक दिखाई।
उन्होंने कहा कि अगले माह तक शकुंतला पुत्र चक्रवर्ती राजा भरत की प्रतिमा कण्वाश्रम में स्थापित की जाएगी। यही भरत वह सम्राट हैं जिनके नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। इस घोषणा के साथ ही कण्वाश्रम की पहचान केवल एक धार्मिक स्थल तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह वैदिक कालीन सभ्यता, योग, धर्म, आस्था, अध्यात्म और साहसिक पर्यटन का संगम बनने जा रहा है।
वैदिक कालीन सभ्यता को पुनर्जीवित करने की तैयारी
ऋतु खण्डूडी ने मालिनी नदी तट पर बसे इस प्राचीन स्थल की काष्ठ कला और ऐतिहासिक धरोहरों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है मालिनी घाटी की वैदिक कालीन सभ्यता को जीवंत करना। यहाँ सप्तऋषि मंडप का निर्माण, नदी तट पर नदी आरती, और प्रतिदिन गूंजने वाले वैदिक मंत्रोच्चारण इस क्षेत्र की आध्यात्मिक पहचान को नया आयाम देंगे।
साहसिक और धार्मिक पर्यटन का अनूठा मिश्रण
कण्वाश्रम को न केवल धार्मिक बल्कि साहसिक पर्यटन का भी प्रमुख केंद्र बनाया जाएगा। यहाँ योग और ध्यान की परंपरा को आश्रम पद्धति के अनुरूप पुनर्जीवित करने की तैयारी है। इससे यह क्षेत्र न केवल तीर्थयात्रियों बल्कि युवाओं और साहसिक पर्यटन प्रेमियों को भी आकर्षित करेगा।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सक्रियता
उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और लोकसभा सांसद अनिल बलूनी के प्रयासों से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम यहाँ अध्ययन कर रही है। अब तक के प्रारंभिक निष्कर्षों में यहाँ मिली प्राचीन मूर्तियाँ आठवीं से ग्यारहवीं शताब्दी के मध्य की मानी गई हैं। यह खोज कण्वाश्रम की ऐतिहासिक महत्ता को और बढ़ाती है।
गौरवशाली पहचान की ओर वापसी
ऋतु खण्डूडी भूषण ने विश्वास जताया कि सामूहिक प्रयासों से कण्वाश्रम न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पर्यटन मानचित्र का आकर्षण केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा—
“यह क्षेत्र पुनः अपनी गौरवशाली पहचान बनाएगा और उत्तराखंड ही नहीं पूरे भारत के लिए गर्व का विषय बनेगा।”