सांसद नीरज डांगी ने राज्यसभा में स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपी लैंड) की पांच करोड़ की राशि को नाकाफी बताते हुए विशेष उल्लेख के तहत मामला उठाया। इस दौरान उनका कहना था कि 13 साल पहले निर्धारित इस राशि पर केंद्र सरकार को पुनर्विचार करते हुए संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना की राशि को बढ़ाकर 15 करोड़ प्रति सांसद किया जाना चाहिए।
सांसद नीरज डांगी ने कहा कि संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना “एमपीलैड” की शुरुआत 23 दिसंबर 1993 में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव द्वारा सभी दलों के सांसदों के आग्रह पर पांच लाख रुपये प्रति सांसद की थी। इससे सांसद अपने क्षेत्र में स्थाई सामुदायिक परिसंपत्तियों के निर्माण सहित जनता को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए विकास कार्यों की सिफारिश कर सकें। डांगी ने सदन में बोलते हुए कहा कि एमपीलैंड फंड की राशि को साल 1998-99 में पांच लाख से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये किया गया और इसके 13 साल बाद 2011-12 में सांसदों के आग्रह पर इसे बढ़ाकर प्रति वर्ष प्रति सांसद पांच करोड़ रुपये किया गया था। लेकिन, बीते 13 साल से एमपीलैंड राशि में बढ़ोतरी पर कोई पुनर्विचार नहीं किया गया, तत्काल इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संसदीय क्षेत्र में लगभग आठ से 10 विधानसभा क्षेत्र सम्मिलित होते हैं तथा राज्यसभा सदस्य जिस राज्य से चुनकर आते हैं, पूरे राज्य के विकास में इस राशि का योगदान होता है, जो पर्याप्त नहीं है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल जैसे राज्यों में विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना अन्तर्गत राशि कई वर्षों से पांच करोड़ से अधिक है तथा दिल्ली में यह राशि 10 करोड़ रुपये प्रति विधायक है।
विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना की राशि और सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना की राशि लगभग समान हो गई है। जबकि अनुपातिक रूप से यह राशि लगभग आठ से 10 गुना होनी चाहिए। सांसद डांगी ने मांग की कि केन्द्र सरकार 13 साल से अपरिवर्तित्त सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना “एमपीलैड” की राशि पांच करोड़ से बढ़ाकर 15 करोड़ रुपये प्रति सांसद किए जाने पर पुनर्विचार करे। ताकि क्षेत्र में आमजन की सुविधाएं स्थाई सामुदायिक परिसंपत्तियों के निर्माण एवं बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा सके।