वित्त विभाग ने सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की निजी विदेश यात्राओं के लिए नई गाइडलाइन जारी कर दी है। इसमें सरकारी कर्मचारियों को विदेश जाने के लिए अनुमति की प्रक्रिया में तो छूट दी गई है, लेकिन एक नई शर्त यह जोड़ दी गई है कि विदेश जाने वालों को यात्रा के लिए किए गए धन के बंदोबस्त के बारे में जानकारी देनी होगी।
सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की निजी विदेश यात्राओं पर अब सरकार की कड़ी नजर रहेगी। निजी विदेश यात्राओं के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों को मंजूरी लेने में तो राहत दी गई है, लेकिन इन्हें यह बताना होगा कि वे किस कारण से विदेश जा रहे हैं, उस पर खर्च कितना आएगा और इस खर्च के लिए वे धन की व्यवस्था कैसे करेंगे। इसके साथ ही पिछले चार वर्ष में की गई विदेश यात्राओं का विवरण भी उन्हें देना होगा। बताया जा रहा है कि निजी विदेश यात्राओं के मामले में इस तरह की जानकारी सरकार की ओर से पहली बार ही ली जा रही है।
गाइडलाइन में कहा गया है कि निजी विदेश यात्रा के लिए अपने सक्षम अधिकारी से मंजूरी के अलावा उन्हें किसी अन्य तरह की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को निजी विदेश यात्राओं के लिए मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री से अनुमति लेनी होगी।
यात्रा के खर्च और इसके स्रोत का ब्यौरा देना होगा
निजी विदेश यात्रा की मंजूरी के लिए एक प्रफोर्मा भी जारी किया गया है। इसमें संबंधित कर्मचारी या अधिकारी की जानकारी के साथ ही विदेश यात्रा का स्थान, अवधि, कारण, सम्भावित खर्च और इस खर्च के स्रोत की जानकारी भी मांगी गई है। इसके साथ ही यह जानकारी भी देनी होगी कि पिछले चार वर्ष में कर्मचारी किन देशों में कितनी अवधि और किस कारण से विदेश यात्रा पर गया।
यह शर्तें भी लगाई गईं
- निजी विदेश यात्रा के दौरान कोई नौकरी या व्यापार नहीं किया जा सकेगा।
- सरकार इस यात्रा का कोई भी खर्च वहन नहीं करेगी।
- यदि किसी विदेशी संस्था के निमंत्रण या उसके खर्च पर गए हैं तो काडर कंट्रोलिंग अधिकारी जैसे मुख्य सचिव आदि से अनुमति लेनी होगी।
- विदेश यात्रा पर किसी तरह के कोर्ट की या अन्य कोई रोक नहीं होनी चाहिए।
- लौटने के बाद सक्षम अधिकारी को सूचित करना होगा।