उत्तराखंड में स्थित विश्व विख्यात श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल गुरमीत सिंह ने 22 मई को ऋषिकेश में हेमकुंड साहिब के पहले जत्थे के वाहनों को हरी झंडी दिखाकर यात्रा मार्ग पर रवाना किया. श्री हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खोलेंगे. सरकार के साथ गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब ट्रस्ट ने हेमकुंड साहिब के कपाट खोलने की सभी तैयारियां पूरी कर ली है.
गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल गुरमीत सिंह ऋषिकेश स्थित गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब पहुंचे. गुरुद्वारा परिसर में अध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने प्रबंधन कमेटी से जुड़े सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री और राज्यपाल का भव्य स्वागत किया. गुरुद्वारे के दरबार साहिब में मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने माथा टेका और यात्रा के सफलता की अरदास की. जिसके बाद मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने पंच प्यारों की अगुवाई में श्री हेमकुंड साहिब धाम की यात्रा पर जाने वाले करीब 500 श्रद्धालुओं के पहले जत्थे के वाहनों को हरी झंडी दिखाकर यात्रा मार्ग पर रवाना किया. इस दौरान ‘वाहेगुरु जी दा खालसा वाहेगुरु जी फतेह’, ‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल’ के जयकारों से पूरा गुरुद्वारा गुंजायमान हो गया.
श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा के शुभारंभ मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा पर देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा यात्रा मार्ग पर ना हो, इस प्रकार का प्रबंध सरकार ने किया हुआ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ और श्री हेमकुंड साहिब धाम के लिए रोपवे की सौगात भी राज्य को दी है. 7200 करोड़ रुपए भी इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए स्वीकृत कर दिए हैं. जल्दी ही टेंडर प्रक्रिया पूरी कर योजना को धरातल पर उतारने का काम किया जाएगा. इस योजना के धरातल पर उतरने से केदारनाथ और श्री हेमकुंड साहिब धाम की यात्रा पर ऐसे श्रद्धालु भी आसानी से जा सकेंगे, जो शारीरिक रूप से कमजोर हैं. मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं से यात्रा के नियमों का पालन करने और राज्य को कचरा मुक्त बनाने में अपना अहम योगदान देने की अपील की है.
वहीं राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा कि श्री हेमकुंड साहिब केवल सिखों की आस्था का केंद्र ही नहीं है. बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र भी है. श्री हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने के बाद लाखों हिंदू श्रद्धालु भी दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. इसलिए सभी धर्मों की मर्यादा को बनाए रखने की जिम्मेदारी प्रत्येक श्रद्धालु की बनती है.