कांग्रेस छोड़ BJP में शामिल हो रहे चुनाव लड़ चुके नेता, गढ़वाल लोकसभा सीट में क्यों इतनी बगावत?
उत्तराखंड लोकसभा चुनाव का बिगुल फुंकने से ऐनवक्त पहले और अब तक कांग्रेस को झटके पर झटके लग रहे हैं। लगातार मिल रहे इन झटकों से कांग्रेस नेता सकते में हैं। वहीं, अभी भी कांग्रेस के कई नेता बीजेपी प्रदेश नेतृत्व के संपर्क में बताए जा रहे हैं। इससे भाजपा में भारी उत्साह देखा जा रहा है।
कांग्रेस में सबसे ज्यादा गढ़वाल संसदीय सीट पर कांग्रेस नेताओं ने पाला बदल किया है। ।कांग्रेस सबसे ज्यादा सकते में तब आई जब उसके पिछले लोकसभा सीट के प्रत्याशी मनीष खंडूड़ी ही पार्टी को अलविदा कहते हुए भाजपा में शामिल हो गए।
खंडूड़ी पिछले साढ़े चार साल से संसदीय सीट पर सक्रिय रहे थे। इसके बाद यमकेश्वर विधानसभा सीट के प्रत्याशी रहे व पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत ने कांग्रेस को झटका दिया। कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व कुछ समझ पाता कि पिछले दिनों लैंसडौन प्रत्याशी अनुकृति गुसाईं, पौड़ी से दो बार प्रत्याशी रहे नवल किशोर और चौबट्टाखाल से प्रत्याशी रहे व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष केसर सिंह ने भी पार्टी छोड़ दी।
इनमें से नवल किशोर और केसर सिंह ने बुधवार को जिला मुख्यालय में लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए हैं। वहीं, संसदीय सीट के एक मात्र बद्रीनाथ के विधायक राजेंद्र भंडारी के पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस नेता सदमे हैं।
इनके साथ पौड़ी के ब्लाक प्रमुख दीपक खुगशाल, जयहरीखाल के प्रमुख दीपक भंडारी और कोट ब्लाक की प्रूव ब्लाक प्रमुख चांदनी रावत भी अब भाजपा के हो गए। वहीं, अनुकृति गुसाईं ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं।
इससे पहले कांग्रेस के द्वारीखाल ब्लाक प्रमुख महेंद्र राणा और पाबो ब्लाक प्रमुख डा. रजनी रावत भी पाला बदल कर अब भाजपा के हो चुके हैं, जबकि रुद्रप्रयाग की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा भी कांग्रेस छोड़ चुकी हैं, हालांकि उन्होंने ने भी अभी अन्य किसी पार्टी को ज्वाइन नहीं किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों, कार्यों और विजन का प्रभाव है कि आज भाजपा का परिवार निरंतर बढ़ रहा है। भाजपा में शामिल होने पर उनका स्वागत है। इन सभी के सामाजिक और राजनीतिक अनुभव निश्चित तौर पर विकसित गढ़वाल के संकल्प को पूरा करेगा।
अनिल बलूनी भाजपा, सांसद प्रत्याशी
पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को कांग्रेस ने पूरा सम्मान दिया, जिस वक्त इन्हें पार्टी का साथ देना चाहिए था इन्होंने धोखा किया है। केसर सिंह, नवल किशोर और दीपक खुगशाल को पहले ही निष्कासित कर दिया गया था।