देहरादून में “मानक मंथन” ने मचाई हलचल — औद्योगिक सुरक्षा हेलमेट पर खुली बहस, मानकों में बड़े बदलाव की आहट!

बीआईएस का बड़ा कदम — सुरक्षा मानकों की फिर होगी परिभाषा

देहरादून, 29 अक्टूबर 2025 —
औद्योगिक सुरक्षा की दुनिया में आज देहरादून से एक बड़ा संदेश निकला!
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की देहरादून शाखा ने होटल रेजेंटा में आयोजित “मानक मंथन” कार्यक्रम के जरिए औद्योगिक सुरक्षा हेलमेट के मानक IS 2925 पर देशभर के उद्योगों, उपभोक्ताओं और विशेषज्ञों के बीच एक तीखी बहस छेड़ दी।
यह सिर्फ एक सेमिनार नहीं था — यह “सुरक्षा बनाम लापरवाही” पर राष्ट्रीय संवाद बन गया।


मुख्य अतिथि की दो टूक — “सुरक्षा में समझौता, अब नहीं चलेगा!”

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अनिल पेटवाल, अतिरिक्त आयुक्त (श्रम विभाग), ने उद्योगों को सीधी चेतावनी दी —

“सुरक्षा उपकरणों में किसी भी तरह की ढिलाई, अब अपराध के बराबर मानी जानी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि कारखानों में श्रमिकों की जान की कीमत किसी भी उत्पादन लक्ष्य से बड़ी है। बीआईएस मानकों को लागू करना अब विकल्प नहीं, बल्कि “अनिवार्य जिम्मेदारी” है।


बीआईएस का ‘मानक मंथन’ बना चर्चा का केंद्र

बीआईएस देहरादून के निदेशक सौरभ तिवारी ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि बताते हुए कहा कि “मानक मंथन” का मकसद केवल दस्तावेजी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह भारत में औद्योगिक सुरक्षा को “रीसेट” करने का प्रयास है।
उन्होंने कहा —

“हेलमेट अब केवल सिर की ढाल नहीं, एक जीवन रक्षा कवच है — और BIS इसे विज्ञान, परीक्षण और जिम्मेदारी के साथ परिभाषित कर रहा है।”


तकनीकी बम — Shock, Flame, Penetration पर फोकस

कार्यक्रम के दौरान बीआईएस के संयुक्त निदेशक सचिन चौधरी ने संशोधित IS 2925 पर विस्तृत प्रस्तुति दी।
उन्होंने बताया कि नया मानक तीन मुख्य स्तंभों पर टिकेगा —
Shock Absorption, Flame Resistance, और Resistance to Penetration
यानी अब किसी भी औद्योगिक हेलमेट को सिर्फ टिकाऊ नहीं, “अत्यधिक जोखिम झेलने वाला” बनाना अनिवार्य होगा।


उद्योग जगत की प्रतिक्रिया — “नया युग शुरू हुआ है”

पंकज गुप्ता (अध्यक्ष, इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड) और राजीव वैद (उपाध्यक्ष, PHDCCI) ने मंच से कहा कि यह मंथन उद्योगों को “रक्षा से परे जिम्मेदारी” की ओर ले जाएगा।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारतीय मानकों को अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ा करने का समय आ गया है।


युवाओं की मौजूदगी ने बढ़ाया जोश

कार्यक्रम में उत्तरांचल विश्वविद्यालय और ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। सवाल सीधे थे और जवाब तकनीकी — माहौल कुछ वैसा बना जैसे एक वैज्ञानिक प्रयोगशाला में विचारों की रफ्तार चल रही हो।


सुरक्षा का नया अध्याय

60 से अधिक विशेषज्ञों, उद्योग प्रतिनिधियों और तकनीकी प्रयोगशालाओं की मौजूदगी में यह तय हुआ कि औद्योगिक सुरक्षा अब कागज़ी औपचारिकता नहीं, एक जनआंदोलन बनेगी।
देहरादून से उठी यह आवाज़ अब पूरे देश के उद्योग जगत में गूंजने लगी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *