स्वराज सिंह ने बचा लिया पेड़, मगर सिस्टम हो गया फेल…ट्रांसप्लांट किए गए सैकड़ों पेड़ बने ठूंठ
स्वराज सिंह रायपुर स्थित राजीव गांधी खेल स्टेडियम के पास कई सालों से ठेला लगा रहे हैं। वे ठेले पर कभी जूस तो कभी भुट्टा बेचते हैं। जिस जगह वह अपना ठेला लगाते हैं, वहीं पास में एक पेड़ ट्रांसप्लांट किया गया था। स्वराज का इस दरख्त से एक रिश्ता सा हो गया। वह रोज उसकी देखभाल करने लगा। देखते ही देखते दरख्त हरा-भरा हो गया, पर ऐसी किस्मत उन सैकड़ों दरख्तों को नहीं थी, जिन्हें स्टेडियम के पास वाली भूमि पर ट्रांसप्लांट किया गया था।
दावा था कि इनमें से अधिकांश दरख्तों में हरियाली आ जाएगी, मगर जमीनी हकीकत सिस्टम की नाकामी को उजागर कर रही है। तकरीबन सारे दरख्त सूख चुके हैं और सिस्टम के एक भी कारिंदे के पास उनकी चिंता करने के लिए वक्त नहीं है। यह बड़ा सवाल है कि ट्रांसप्लांट करने के बाद दरख्तों को खाद-पानी देने की जिम्मेदारी किसकी थी।
मार्ग के किनारे प्रत्यारोपित किया गया
सहस्त्रधारा रोड दरख्तों से लकदक रहता था। जब सड़क चौड़ीकरण की योजना बनी तो इन पेड़ों पर आरी चलाने की तैयारी की गई। पेड़ों को काटने के विरोध में स्थानीय जनता सड़कों पर आ गई। मामला कोर्ट तक पहुंचा। बाद में फलदार, फाइकस आदि प्रजातियों के वृक्षों को ट्रांसप्लांट करने का फैसला किया गया। इसके तहत बड़ी संख्या में करीब दो साल पहले वृक्षों को रायपुर-थानो रोड पर स्टेडियम के पास और मार्ग के किनारे प्रत्यारोपित किया गया है।पर इसमें से अधिकांश वृक्षों पर हरियाली नहीं लौटी है। यहां पर जो पेड़ ट्रांसप्लांट किए गए थे, वे काले पड़ चुके हैं और निर्जीव हो चुके हैं। जो पेड़ ट्रांसप्लांट किए गए हैं, उसमें बमुश्किल एक-दो पेड़ों में हरियाली दिखाई देती है। इसके अलावा सड़क के किनारे कुछ प्रत्यारोपित पेड़ ही दूसरी मिट्टी पर जम पाए हैं।