राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने राजमार्ग एसएच-16 के एक खतरनाक घाट सेक्शन, जो राजसमंद जिले के गढ़बोर से देसूरी के बीच स्थित है, पर 8 किलोमीटर के क्षेत्र में बार-बार होने वाले सड़क हादसों को रोकने के लिए “देसूरी की नाल” पर एलिवेटेड रोड बनाने की मांग की है। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए पत्र में सड़क की खतरनाक स्थिति और यहां होने वाले हादसों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
देसूरी की नाल: व्यापारिक और सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण
सांसद डांगी ने पत्र में बताया कि देसूरी की नाल उदयपुर, पाली, जैसलमेर, और जोधपुर जैसे महत्वपूर्ण जिलों को जोड़ती है। यहां एलिवेटेड रोड बनाकर न केवल व्यापारिक, धार्मिक, और ऐतिहासिक महत्व के इन जिलों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी, बल्कि लगातार हो रही जनहानि को भी रोका जा सकेगा। 1952 से अब तक इस क्षेत्र में लगभग 1000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। यह राजमार्ग राजस्थान के प्रमुख व्यवसायों जैसे मार्बल और ग्रेनाइट के मुख्य नगरों को जोड़ता है, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा, यह मार्ग भारतीय सेना के वाहनों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो उदयपुर से जैसलमेर तक जाते हैं।
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
सांसद डांगी ने पत्र में धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों की ओर ध्यान आकर्षित किया, जैसे कि श्री रणकपुर मंदिर, श्री परशुराम महादेव मंदिर, और श्रीनाथजी मंदिर, जो इस मार्ग से जुड़े हुए हैं। इसके साथ ही, ऐतिहासिक स्थल हल्दीघाटी, जहां महाराणा प्रताप ने मुगलों के खिलाफ युद्ध लड़ा था, और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल कुम्भलगढ़ दुर्ग भी इसी क्षेत्र में स्थित हैं। कुम्भलगढ़ दुर्ग की दीवार, जिसे “द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया” कहा जाता है, विश्व में चीन की महान दीवार के बाद दूसरी सबसे बड़ी दीवार मानी जाती है।
यहां हुआ एशिया का सबसे बड़ा हादसा
डांगी ने पत्र में यह भी बताया कि देसूरी की नाल में 7 सितंबर 2007 को एशिया का सबसे बड़ा सड़क हादसा (देसूरी दुखांतिका) हुआ था, जिसमें 108 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। यहां प्रतिवर्ष भारतीय सेना के वाहनों समेत करीब 100 लोगों की जान सड़क हादसों में चली जाती है। इसके अलावा, इन हादसों के कारण व्यापारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। यहां के आठ किमी लंबे घाट सेक्शन में 12 खतरनाक एस और एल मोड़ हैं, और पांच संकरे पुलियाओं पर ढलानें हैं। अक्सर वाहन ब्रेक फेल होकर चट्टानों से टकराते हैं या 40 फीट गहरी खाई में गिर जाते हैं।