उत्तराखंड

एक साल में फैसला-तीन दिन में भरपाई, दंगों में सरकारी-प्राइवेट प्रॉपर्टी नुकसान पर धामी का धासूं ऐक्शन प्लान

दंगों में सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले से वसूली के केस का फैसला एक साल के भीतर हर हालत में हो जाएगा। मामला दाखिल होने के बाद दावा अधिकरण को एक वर्ष के भीतर भीतर फैसला देना होगा।

अधिकरण को किसी पक्षकार के आवेदन पर अधिकतम तीन बार ही सुनवाई को स्टे करने का अधिकार होगा। सरकार ने लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश में जहां प्रावधान काफी सख्त रखे हैं, वहीं उनके पालन के लिए भी समय सीमा तय की है।

मुआवजे के दावे की सच्चाई जानने के लिए दावा अधिकरण अध्यक्ष अथवा उनके प्रतिनिधि घटनास्थल का मुआयना भी करेंगे। यदि किसी पक्षकार को अपनी बात रखने के लिए समय की आवश्यकता होती है अधिकरण सुनवाई को कुछ समय के लिए स्थगित कर सकेगा।

लेकिन सुनवाई को स्टे अधिकतम तीन बार ही किया जा सकता है। यदि क्षतिग्रस्त संपत्ति के लिए केंद्र, राज्य सरकार या बीमा कंपनी से मिलने वाले प्रतिकर के लिए भी व्यवस्था की गई है। अधिकरण पीड़ित को इन संस्थाओं से मिली धनराशि का समायोजन प्रतिकर की धनराशि से कर सकेगा।

देवभूमि में कानून व्यवस्था और स्वरूप को बिगाड़ने की किसी को भी छूट नहीं है। कानून तोड़ने वालों को कड़ी सजा दी जाएगी। हमने दंगाइयों से निपटने को सख्त कानून को मंजूरी दे दी है। दंगाइयों को सजा भी दी जाएगी और नुकसान की पूरी भरपाई कराई जाएगी। इस कानून का राज्य में कड़ाई से पालन कराया जाएगा।

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