इन दिनों अस्पतालों और डॉक्टरों के बीच एक अनोखी होड़ देखी जा रही है। अमेरिका में प्रवासी महिलाओं के बीच 20 फरवरी से पहले सिजेरियन डिलीवरी कराने की मांग अचानक बढ़ गई है। इसकी वजह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का हालिया आदेश है, जिसमें उन्होंने जन्मजात नागरिकता (Birthright Citizenship) को खत्म करने का ऐलान किया है। हालांकि, इस आदेश पर फिलहाल अदालत ने अस्थायी रोक लगा दी है, लेकिन इससे पैदा हुई असुरक्षा का माहौल खत्म नहीं हुआ है।
डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश के तहत, 20 फरवरी के बाद जन्म लेने वाले बच्चों को अमेरिकी नागरिकता तब तक नहीं दी जाएगी जब तक उनके माता-पिता कानूनी रूप से देश में रह रहे हों। इस घोषणा के बाद, अमेरिका में अवैध रूप से रह रहीं और वीजा पर आई गर्भवती महिलाओं में जल्द से जल्द डिलीवरी कराने की होड़ मच गई है।
डॉक्टरों और अस्पतालों के अनुसार, सिजेरियन डिलीवरी की मांग में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। कई महिलाएं 20 फरवरी से पहले डिलीवरी के लिए अपनी नियत तारीख से पहले ऑपरेशन कराने पर जोर दे रही हैं। कुछ अस्पतालों ने सिजेरियन शेड्यूल में अतिरिक्त स्लॉट जोड़े हैं, जबकि कुछ डॉक्टरों ने इसे स्वास्थ्य जोखिम बताते हुए असहमति जताई है।
एक अस्पताल प्रशासन ने बताया, “हमारे पास पिछले कुछ दिनों में सिजेरियन डिलीवरी के लिए बड़ी संख्या में अनुरोध आए हैं। हालांकि, हम केवल उन्हीं मामलों में जल्दी डिलीवरी कर रहे हैं जहां चिकित्सा दृष्टिकोण से आवश्यक है।”
इस मुद्दे पर ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि जन्मजात नागरिकता को खत्म करना अवैध आव्रजन को रोकने के लिए जरूरी है। वहीं, विरोधियों का तर्क है कि यह फैसला मानवाधिकारों और अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन के खिलाफ है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की जल्दबाजी महिलाओं और उनके बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। मानवाधिकार संगठनों ने इसे प्रवासियों के अधिकारों का उल्लंघन बताया है।
अमेरिकी अदालत ने फिलहाल ट्रम्प के आदेश पर रोक लगा दी है और मामले की समीक्षा जारी है। लेकिन इस विवाद ने प्रवासी समुदायों और स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा प्रभाव डाला है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत और समाज इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।