उत्तराखंड

Election: …तब चुनाव प्रचार के लिए ग्राम प्रधानों को दिए जाते थे गिने चुने पोस्टर, नहीं होता शक्ति प्रदर्शन

आजकल चुनावों में धनबल का प्रयोग किया जाता है। सोशल मीडिया पर भी प्रचार किया जाता है। लेकिन 60 के दशक में प्रचार के माध्यम पोस्टर ही होते थे। सेवानिवृत्त शिक्षक बंशीधर पोखरियाल बताते हैं कि उन्होंने पौड़ी लोकसभा का चुनाव और चुनाव प्रचार काे नजदीक से देखा। तब चुनाव से पहले किसी प्रकार का शक्ति प्रदर्शन नहीं होता था। गाेष्ठियों के माध्यम से चुनावी रैली की जाती थी।

चुनाव प्रचार के लिए पोस्टर चिपकाए जाते थे। उस समय चुनावों में धनबल का प्रयोग नहीं होता था, इसलिए ग्राम प्रधानाें को उनके गांवों के हिसाब गिने चुने पोस्टर दिए जाते थे। यातायात के कम साधन होने के कारण ग्राम प्रधानों को 15 दिन पहले चुनावी बस्ते बांट दिए जाते थे।

जिला मुख्यालय से चुनावी बस्तों को गांवों तक पहुंचाने के लिए मजदूर बुलाए जाते थे। मतदान केंद्रों तक चुनाव अधिकारियों का सामान पहुंचाने के लिए गांवों से मजदूरों को पहले ही बुक कर दिया जाता था। गांवों के कई मजदूर इस समय का इंतजार करते थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button