उत्तराखंड

हरिद्वार संसदीय सीट पर तेज होते चुनाव प्रचार के बीच भाजपा और कांग्रेस ने जोरदार मोर्चाबंदी की

हरिद्वार संसदीय सीट पर तेज होते चुनाव प्रचार के बीच भाजपा और कांग्रेस ने जोरदार मोर्चाबंदी की है। कैडर के सहारे बहुजन समाज पार्टी प्रचार में आगे बढ़ने की कोशिश में जुटी है, जबकि निर्दलीय प्रत्याशी हरिद्वार के खानपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक उमेश कुमार क्षेत्र विशेष के समर्थकों की ताकत से प्रचार तेज करते दिख रहे हैं।

इस सीट पर 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। मुद्दों को धार देने में जुटे राजनीतिक दल व प्रत्याशी एक-दूसरे को लगातार कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। मतदाताओं की कसौटी पर खरा उतरने का हर प्रयास किया जा रहा है।

दावों और वादों की कमी नहीं

किसानों, व्यापारियों, कर्मचारियों, महिलाओं व युवाओं को लुभाने के लिए दावों और वादों की कमी नहीं दिख रही। प्रत्याशी सवाल एक से दूसरे पाले में फेंक रहे हैं और जनता जवाब का इंतजार कर रही है। चुनावी मौसम में महारथियों का शौर्य हतप्रभ करने वाला है।

दलीय ताकत

भाजपा यहां अन्य दलों के मुकाबले मजबूत स्थिति में है। सीट के अंतर्गत आने वाले 14 विस क्षेत्रों में से छह पर भाजपा काबिज है। तीन में से दो नगर निगमों पर भाजपा का कब्जा रहा है। जिला पंचायत और सभी क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष पद भी भाजपा के पास हैं।\

हरिद्वार संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाले 14 विधानसभा क्षेत्रों में से पांच पर कांग्रेस के विधायक हैं। हरिद्वार नगर निगम में महापौर पद पर पर भी कांग्रेस काबिज रही है। जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत में कांग्रेस सदस्यों तक ही सीमित है।

मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में बसपा

इस सीट पर बसपा मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटी है। बसपा ने सोशल इंजीनियरिंग करते हुए मुस्लिम प्रत्याशी जमील अहमद को उतारा है।

बसपा की रणनीति यह है कि यदि कैडर वोट के साथ मुस्लिम मतदाता को लामबंद करने में सफलता मिलती है तो पार्टी इस सीट पर मुकाबले मे आ सकती है। जमील अहमद मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) की जानसठ विधानसभा से विधायक रहे हैं।

70 प्रतिशत क्षेत्र ग्रामीण, शेष शहरी हरिद्वार संसदीय क्षेत्र की सीमा उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, बिजनौर और सहारनपुर के साथ ही राज्य के पौड़ी जिले से भी लगी हुई है।

संसदीय क्षेत्र में छह तहसील और सात ब्लाक हैं। हरिद्वार के रुड़की, बहादराबाद, भगवानपुर, नारसन, खानपुर, लक्सर और देहरादून का डोईवाला ब्लाक इसमें शामिल हैं, जबकि हरिद्वार, रुड़की, लक्सर, भगवानपुर व ऋषिकेश तहसील हैं। सीट में हरिद्वार के 11 और देहरादून के तीन विधानसभा क्षेत्र हैं। करीब 70 प्रतिशत ग्रामीण और शेष शहरी क्षेत्र है। एक दर्जन से अधिक कस्बे हैं।

सामाजिक समीकरण

इस सीट पर संत और पहाड़ी समाज के साथ ही ब्राह्मण-पुरोहित, अनुसूचित जाति, पाल, तेली, झोझा, बंजारा, पंजाबी-सिख, सिंधी, वैश्य, साधु समाज, सैनी, जाट, गुर्जर, कुम्हार, त्यागी जातियों का गुलदस्ता है। मुस्लिम फैक्टर भी खासा प्रभावी है।

सियासी इतिहास

अविभाजित उत्तर प्रदेश में वर्ष 1977 में अस्तित्व में आई हरिद्वार संसदीय सीट पर शुरुआत में लोकदल का दबदबा रहा। इसके बाद कांग्रेस और भाजपा ही इस सीट काबिज होती रही। इस सीट पर 13 आम चुनाव और एक उपचुनाव हुआ। इसमें सबसे अधिक छह बार भाजपा जीती। पांच बार कांग्रेस की झोली में यह सीट रही। दो बार लोकदल और एक बार सपा ने जीत हासिल की।

प्रत्याशी

कांग्रेसः वीरेंद्र रावत

कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र रावत को हरिद्वार सीट से प्रत्याशी बनाया है। हरीश रावत हरिद्वार से सासंद रह चुके हैं और क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से हरीश रावत की पुत्री अनुपमा विधायक हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष वीरेंद्र रावत पिछले 15 साल से हरिद्वार की राजनीति में सक्रिय हैं और युवाओं में उनकी पकड़ मानी जाती है।

भाजपाः त्रिवेंद्र सिंह रावत

भाजपा ने हरिद्वार सीट से इस बार प्रत्याशी बदलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा से लगातार दो बार सांसद रहे पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को इस बार टिकट नहीं दिया गया। डबल इंजन के रथ पर सवार त्रिवेंद्र सिंह रावत संगठन की मजबूती और बेहतर चुनाव प्रबंधन से क्षेत्र में चुनाव प्रचार के मामले में प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशियों से आगे दिख रहे हैं।

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