X (पूर्व में Twitter) ने सोशल मीडिया जगत में हलचल मचाते हुए एक बड़ा अपडेट जारी कर दिया है। अगले 24 घंटे में हर यूज़र की प्रोफाइल पर यह दिखाई देना शुरू हो जाएगा कि अकाउंट किस देश से ऑपरेट हो रहा है।
यह कदम डिजिटल पारदर्शिता को बढ़ाने और फेक, विदेशी तथा एंटी-नेशनल अकाउंट्स की पहचान सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है।
क्यों लाई गई यह सुविधा?
डिजिटल दुनिया में लंबे समय से विदेशी प्रभाव संचालन (influence operations) चिंता का विषय रहे हैं।
नाम भारत का, लोकेशन अमेरिका की और एजेंडा किसी तीसरे देश का—ऐसे अकाउंट्स अब सामने आ जाएँगे।
इस बदलाव से:
• मिसइन्फॉर्मेशन चलाने वाले गैंग पकड़े जाएँगे
• गलत लोकेशन दिखाकर नैरेटिव बनाने वालों की पहचान होगी
• सरकार और प्लेटफॉर्म दोनों के लिए सुरक्षा ढाँचा मजबूत होगा
• असली यूज़र्स की विश्वसनीयता बढ़ेगी
कॉर्पोरेट ग्लोबल स्टैंडर्ड्स में इसे “ट्रांसपेरेंसी प्रोटोकॉल अपग्रेड” माना जा रहा है।
भारत के लिए क्या मायने?
भारत जैसे बड़े और सक्रिय सोशल मीडिया मार्केट में यह कदम कई स्तरों पर प्रभाव डालने वाला है।
1. फेक और विदेशी नेटवर्क्स की पहचान
कई विदेशी अकाउंट लंबे समय से भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देते रहे—अब वे छुप नहीं पाएँगे।
2. सोशल मीडिया बहस में पारदर्शिता
वाद-विवाद में अब सामने वाले की वास्तविक लोकेशन साफ होगी, जिससे नैरेटिव की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
3. सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी मदद
डिजिटल खतरे, ट्रोल आर्मी और विदेशी प्रचार करने वाली इकाइयाँ आसानी से चिन्हित होंगी।
4. यूज़र-टू-यूज़र ट्रस्ट में वृद्धि
अब लोग जान पाएँगे कि कौन सच में स्थानीय है और कौन विदेश से बोल रहा है।
गेमचेंजर क्यों माना जा रहा यह कदम?
सोशल मीडिया एक बड़ा युद्धक्षेत्र बन चुका है—जहाँ पहचान छुपाकर अभियान चलाना आम हो गया था।
जब प्रोफाइल पर ऑपरेटिंग कंट्री दिखेगी, तब:
• फर्जी पहचान टूटेगी
• संगठित प्रचार समूहों की ताकत कमजोर होगी
• अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप कम होगा
• डिजिटल लोकतंत्र सुरक्षित होगा
यह कदम इंटरनेट के “क्लीन-अप ड्राइव” जैसा है, जो धीरे-धीरे फेक नेटवर्क्स को किनारे करेगा।
