हादसों के बाद खामोशी क्यों?
देश में हर साल हजारों लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाते हैं। कई मामलों में समय पर मदद मिल जाए तो जान बच सकती है, लेकिन अक्सर दुर्घटना के बाद मौके पर मौजूद लोग कानूनी और पुलिस कार्रवाई के डर से आगे नहीं आते। यही मानसिकता सड़क सुरक्षा की सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।
नितिन गडकरी का सीधा संदेश
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस मुद्दे पर स्पष्ट और मानवीय अपील की है। उन्होंने कहा कि सड़क हादसों में घायल लोगों की मदद करने से नागरिकों को डरने की जरूरत नहीं है। सरकार ऐसे लोगों के साथ खड़ी है, जो संकट की घड़ी में मानवता का हाथ थामते हैं।
‘राहवीर’ के रूप में मिलेगा सम्मान
गडकरी ने घोषणा की कि सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद करने वाले नागरिकों को ‘राहवीर’ के रूप में मान्यता दी जाएगी। ऐसे मददगारों को ₹25,000 का नकद पुरस्कार भी दिया जाएगा। इसका उद्देश्य समाज में यह संदेश देना है कि सही समय पर की गई मदद न केवल सराहनीय है, बल्कि सुरक्षित भी है।
कानूनी डर खत्म करने की पहल
सरकार पहले ही ‘गुड समैरिटन’ दिशा-निर्देश लागू कर चुकी है, जिसके तहत मदद करने वाले व्यक्ति को पुलिस या कानूनी परेशानियों से बचाया जाता है। अब ‘राहवीर’ जैसे सम्मान और इनाम से आम लोगों का भरोसा और बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।
सड़क सुरक्षा में समाज की भूमिका
सड़क सुरक्षा केवल कानून या सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। यह एक साझा प्रयास है, जिसमें आम नागरिक की भूमिका सबसे अहम होती है। दुर्घटना के बाद चंद मिनटों में की गई मदद किसी के जीवन और मृत्यु के बीच फर्क बन सकती है।
मानवता को प्राथमिकता देने की अपील
नितिन गडकरी का यह बयान केवल एक योजना की घोषणा नहीं, बल्कि सामाजिक सोच में बदलाव की अपील है। डर की जगह संवेदना और उदासीनता की जगह जिम्मेदारी लेने से ही सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है।
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