कपड़े बनेंगे मच्छर-रोधी ढाल! IIT दिल्ली का बड़ा इनोवेशन

मच्छर जनित बीमारियों से लड़ाई में नई तकनीक

भारत में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और जीका जैसी मच्छर जनित बीमारियां हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती हैं। इन्हीं चुनौतियों के बीच IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने एक क्रांतिकारी मच्छर-रोधी वॉशिंग डिटर्जेंट विकसित किया है, जो कपड़ों को मच्छरों के खिलाफ एक तरह की सुरक्षात्मक ढाल में बदल देता है।


कैसे काम करता है यह मच्छर-रोधी डिटर्जेंट

शोधकर्ताओं के अनुसार, यह डिटर्जेंट कपड़ों पर ऐसे विशेष सक्रिय तत्व छोड़ता है, जो धुलाई के बाद भी लंबे समय तक बने रहते हैं।
इन तत्वों की वजह से मच्छर कपड़ों पर बैठने से बचते हैं, जिससे मानव संपर्क कम होता है और संक्रमण का खतरा घटता है


आम लोगों के लिए क्यों है यह खोज अहम

अब तक मच्छर-रोधी उपायों में क्रीम, स्प्रे, कॉइल या मशीनों पर निर्भरता रही है।
IIT दिल्ली का यह डिटर्जेंट रोज़मर्रा की आदत—कपड़े धोने—को ही सुरक्षा उपाय में बदल देता है।
यह समाधान खास तौर पर बच्चों, बुजुर्गों, ग्रामीण क्षेत्रों और मच्छर-प्रभावित इलाकों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।


स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिहाज़ से फायदेमंद

शोध टीम का दावा है कि यह तकनीक पारंपरिक रासायनिक रिपेलेंट्स की तुलना में अधिक सुरक्षित और टिकाऊ है।
कम प्रत्यक्ष रसायनों के उपयोग से पर्यावरणीय प्रभाव भी सीमित रहने की संभावना जताई जा रही है।


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भविष्य में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की संभावना

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह डिटर्जेंट व्यावसायिक स्तर पर उपलब्ध होता है, तो यह सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति का अहम हिस्सा बन सकता है।
स्कूल, अस्पताल, सेना, राहत शिविर और ग्रामीण स्वास्थ्य अभियानों में इसका इस्तेमाल संक्रमण नियंत्रण में मददगार हो सकता है।


भारत के वैज्ञानिक नवाचार को मिली नई पहचान

IIT दिल्ली की यह पहल दर्शाती है कि भारतीय शोध संस्थान अब स्थानीय समस्याओं के लिए वैश्विक समाधान देने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
यह खोज न सिर्फ विज्ञान की उपलब्धि है, बल्कि आम जीवन में सीधे असर डालने वाला इनोवेशन भी है।

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